Last Updated: Sunday, March 31, 2013, 12:41
जैसलमेर : देश की सरहदों के रखवाले सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के जवान दिनभर की कड़ी मेहनत से पैदा होने वाली थकान को दूर करने के लिए पाकिस्तान की सीमा से लगती अपनी चौकियों में गीत-संगीत का सहारा लेते हैं। उनका यह गीत-संगीत कुछ अलग हटकर है और कनस्तर, बाल्टियां, प्लास्टिक के पीपे, आलू छीलने वाले चाकू तथा मिट्टी के बर्तन इन जवानों के लिए अद्भुत वाद्य यंत्रों का काम करते हैं।
यह देखने में अजीब बेशक लगे, लेकिन राजस्थान के थार रेगिस्तान में जवानों ने दूरदराज के क्षेत्रों में टेलीविजन और रेडियो जैसा मनोरंजन का कोई नियमित साधन नहीं होने की वजह से रसोई के काम आने वाली इन्हीं चीजों को अपना संगीत यंत्र बना लिया है और दिनभर तपते रेत में गश्त करने के बाद वे अनूठे अंदाज में अपनी शाम गुलजार करते हैं।
‘बॉर्डर आउट पोस्ट ऑर्केस्ट्रा’ के सदस्यों को चम्मच, चाकू, कनस्तर और अन्य बर्तन जहां रसोईघर से मिल जाते हैं, वहीं बेलचा और छेनी जैसी चीजें अभियांत्रिकी इकाई से आती हैं जो बीएसएफ चौकी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
बीएसएफ के महानिरीक्षक (राजस्थान फ्रंटियर) पीसी मीणा ने जैसलमेर सेक्टर की बावलियांवाला सीमा चौकी के दौरे के दौरान पीटीआई को बताया, ‘‘जवानों ने दिनभर की कड़ी मेहनत के बाद थकान दूर करने के लिए यह नायाब संगीतमय ऑर्केस्ट्रा ईजाद किया है । यह सीमा पर हमारी विभिन्न चौकियों में लोकप्रिय हो चुका है।’’ चौकी जिला मुख्यालय से करीब 120 किलोमीटर है और यह पाकिस्तानी चौकी ‘बिलावल’ के सामने पड़ती है।
जवान अपने बीच से अच्छा गाने वालों को चुनते हैं और फिर गीत..संगीत की महफिल शुरू होती है। इसमें देशभक्ति के तरानों से लेकर बॉलीवुड के गाने तक शामिल होते हैं।
निरीक्षक रामकृपा सिंह ने कहा, ‘‘जब मटके और बर्तनों की झंकार शुरू होती है तो चौकी में मौजूद पूरी कंपनी एकत्र हो जाती है। जवान अपने पसंदीदा गीतों की फरमाइश भी करते हैं।’’ बीएसएफ अधिकारियों का कहना है कि कुछ उत्साही जवान अपने खाली वक्त के दौरान इन घरेलू चीजों से कुछ नयी धुनें विकसित करने की कोशिश करते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए कमांडिंग अफसर द्वारा उन्हें पुरस्कृत भी किया जाता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 31, 2013, 12:41