Last Updated: Monday, June 3, 2013, 18:57
नई दिल्ली : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के पद पर शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक और जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि शर्मा की नियुक्ति मनमाने तरीके से बिना पारदर्शिता के की गई।
शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली यह याचिका इससे पहले दायर याचिका के एक सप्ताह बाद ही आई है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 23 मई को एक अन्य जनहित याचिका पर सुनवाई के लिये सहमति व्यक्त की थी। नई जनहित याचिका पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एन. गोपालस्वामी, पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आरएच तहिलियानी और पूर्व एडमिरल एल. रामदास, पूर्व उप नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक बीपी माथुर और पांच अन्य सेवानिवृत्त नौकरशाहों ने दायर की है। वकील प्रशांत भूषण के जरिये दायर याचिका में शर्मा की नियुक्ति निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा गया है कि यह मनमाने तरीके से और बगैर किसी चयन पद्धति या चयन समिति के की गई है।
याचिका में याचिकाकर्ताओं ने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति के लिए ऐसी पारदर्शी चयन प्रक्रिया तैयार करने का अनुरोध किया है जो चयन के लिए निश्चित मानदंड पर आधारित हो और जिसके fy, एक चयन समिति हो। चयन समिति को इस पद के के लिए आवेदन आमंत्रित करने चाहिए ताकि वह इसके बाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक पद पर नियुक्ति के लिए सुयोग्य व्यक्तियों के नाम की सिफारिश कर सके।
याचिका में कहा गया है कि उन्होंने 21 फरवरी, 2013 को सूचना के अधिकार कानून के तहत एक अर्जी दायर की थी जिसमें कैग की नियुक्ति की प्रणाली के बारे में जानकारी मांगी गई थी। यह भी पूछा गया था कि क्या इसके लिए कोई चयन समिति है और इस पद के लिये क्या मानदंड हैं। वित्त मंत्रालय ने मई में जो जवाब दिया उससे स्पष्ट है कि इस पद के लिए न तो कोई खोज समिति या मानदंड या कोई व्यवस्था है और न ही आवेदन मंगाने की कोई व्यवस्था है और इसलिए यह मनमानी और अपनी पसंद के व्यक्ति को बिठाने का तरीका है।
कैग पद पर शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली इस याचिका में एक वजह यह भी बताई गई है कि उन्होंने (शर्मा ने) अपने महानिदेशक (प्राप्ति) के कार्यकाल के दौरान या फिर रक्षा सचिव के रूप में अनेक रक्षा सौदों को मंजूरी दी है जिनमें से कुछ सौदे सरकार की शर्मिंदगी का कारण भी बने हैं। याचिका में जिन रक्षा सौदों का जिक्र किया गया है, उनमें एंग्लो इटैलियन कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से भारतीय वायु सेना के लिये 3500 करोड़ रुपये के 12 वीवीआईपी हेलीकाप्टर की खरीद का मामला भी शामिल है, जिसमें इटली के जांचकर्ताओं के अनुसार कम से कम 350 करोड़ रुपए की दलाली दी गई थी।
याचिका के अनुसार महानिदेशक (प्राप्ति) के रूप में शर्मा के कार्यकाल में रूसी बेड़े से हटाए गए युद्धपोत एडमिरल गोरश्कोव को पूरी तरह आधुनिक विमानवाहन पोत में तब्दील करके उसे आईएनएस विक्रमादित्य नाम दिया गया। यह विमान वाहक पोत अगस्त 2008 में मिलना था, जिसके 94.70 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भुगतान करना था। इस विमान वाहक की बाद कीमत बढ़कर 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर हो गई लेकिन युद्धपोत अभी तक भारत नहीं पहुंच सका। इसी तरह याचिका में टाट्रा ट्रक सौदे का भी जिक्र किया गया है। इस सौदे को भी शर्मा ने ही हरी झंडी दी थी। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 3, 2013, 18:57