Last Updated: Monday, December 3, 2012, 18:36

नई दिल्ली : बसपा अध्यक्ष मायावती द्वारा खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की नीति के मौजूदा स्वरूप पर आपत्ति जताने के बीच सरकार ने आज उन्हें संतुष्ट करने के प्रयास में सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों को तरक्की में आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक के प्रति प्रतिबद्धता जताई।
संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ से जब एफडीआई के मुद्दे पर सरकार का समर्थन करने को लेकर मायावती के रुख के बारे में पूछा गया तो उन्होंने संवाददाताओं से कहा, सरकार संविधान संशोधन विधेयक के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सरकार खुद संसद में यह विधेयक लाई थी।
उन्होंने कहा, हमने राज्यसभा में इसे पेश किया। आज कार्यसूची में हमने इसे पहले नंबर पर सूचीबद्ध किया। लोकसभा में 21 सदस्यों वाली बसपा विधेयक को पारित करने के मुद्दे पर संसद में आवाज उठाती रही है वहीं उसकी धुर विरोधी समाजवादी पार्टी इसके विरोध में है।
एफडीआई के मुद्दे पर भाजपा के अलावा वामदल भी विरोध जता रहे हैं। कमलनाथ ने इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि ‘भाजपा की राजनीति’ को खारिज कर दें।
उन्होंने कहा, हम जिस बारे में चर्चा करने जा रहे हैं। यह विशुद्ध राजनीति है। मैं सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि इस चर्चा के पीछे की राजनीति को समझना चाहिए...और सदन को इस मामले में भाजपा की राजनीति को खारिज कर देना चाहिए। कमलनाथ ने कहा कि संसद में मत-विभाजन से तय नहीं होगा कि राज्यों में एफडीआई को लागू किया जाए या नहीं। उन्होंने कहा, इस बारे में राज्यों को तय करना है।
कमलनाथ ने विश्वास जताया कि सरकार एफडीआई के मुद्दे पर संसद में सफल रहेगी। लोकसभा में एफडीआई के मुद्दे पर कल और परसों चर्चा होगी वहीं राज्यसभा में इस विषय पर छह और सात दिसंबर को चर्चा होगी।
सरकार को 545 सदस्यीय लोकसभा में फिलहाल करीब 265 सांसदों का समर्थन हासिल है जिनमें 18 द्रमुक के हैं। अगर सपा के 22 और बसपा के 21 सदस्य भी सरकार के साथ रहते हैं तो सत्तारूढ़ गठबंधन को मत-विभाजन में 300 से अधिक सदस्यों का समर्थन मिल जाएगा जो 273 के जरूरी आंकड़े से काफी ज्यादा है। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 3, 2012, 18:36