Last Updated: Thursday, December 6, 2012, 21:36

नई दिल्ली: बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर शुक्रवार राज्यसभा में होने वाले महत्वपूर्ण मतदान में सरकार को भारी राहत प्रदान करते हुए बसपा ने सदन में घोषणा की कि वह विपक्ष के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेगी। हालांकि भाजपा और अन्नाद्रमुक ने बसपा एवं सपा सहित कई दलों को एफडीआई का विरोध करने के बावजूद इस मुद्दे पर सरकार का साथ देने के लिए आड़े हाथों लिया।
उच्च सदन में सपा का समर्थन भी सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। लेकिन उच्च सदन में आज हुई चर्चा में सपा ने इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले तथा सरकार को एफडीआई नीति पर पुनर्विचार करने की नसीहत अवश्य दी।
लोकसभा में कल सपा और बसपा के वाकआउट ने सरकार को मतदान में उबार लिया था। अब सरकार को उच्च सदन में एक और परीक्षा पास करनी है क्योंकि 244 सदस्यीय राज्यसभा में संप्रग के पास कुल 94 सदस्य है। उसे इस प्रस्ताव को खारिज करने के लिए बसपा और सपा जैसे दलों की समर्थन की खासी जरूरत पड़ेगी।
सरकार का साथ देने की राज्यसभा में घोषणा करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि हमने तय किया है कि हम बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर शुक्रवार को सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे। पार्टी के उच्च सदन में 15 सदस्य हैं।
उच्च सदन में गुरुवार को हुई चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने सीबीआई के दुरूपयोग सहित विभिन्न मुद्दों पर आरोप- प्रत्यारोप लगाये। मायावती ने कहा कि वह एफडीआई नीति का समर्थन कर रही हैं क्योंकि इसमें राज्यों पर कोई बंधन नहीं होगा और वे इसे लागू करने के लिए स्वंतत्र होंगे।
नौ सदस्यों वाली सपा के नरेश अग्रवाल ने सरकार से एफडीआई निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध करते हुए कहा कि इससे किसानों और छोटे व्यापारियों पर विपरीत असर पड़ेगा विशेषकर गांवों में रहने वालों पर। उन्होंने कहा कि हमारी न तो इस सरकार को बचाने और न ही इसे गिराने की कोई जिम्मेदारी है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 6, 2012, 21:36