Last Updated: Friday, December 7, 2012, 14:57

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : रिटेल कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मसले पर राज्यसभा में शुक्रवार को वोटिंग से पहले चर्चा के दौरान केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार ने एफडीआई पर आम सहमति बनाने की पूरी कोशिश की। उन्होंने कहा कि सरकार ने संसद में पहले भी यह भरोसा दिया कि वह बहु-ब्रांड एफडीआई पर आम सहमति बनाने की दिशा में कार्य करेगी। हमने किसी का भरोसा नहीं तोड़ा है। गौर हो कि रिटेल में एफडीआई पर बहस समाप्त होने के बाद आज राज्यसभा में वोटिंग की जाएगी।
शर्मा ने चर्चा के दौरान कहा कि उन्होंने एफडीआई के मुद्दे पर 14 राज्य के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा और उनसे बात की है। ज्यादातर मुख्यमंत्रियों ने पत्र का जवाब दिया। मैंने एफडीआई पर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित 14 मुख्यमंत्रियों के साथ इस मसले पर विचार-विमर्श किया था। उन्होंने आगे यह भी कहा कि जो राज्य चाहें, उन्हें एफडीआई लागू करने का संवैधानिक अधिकार है। रिटेल एफडीआई का 50 फीसदी पैसा गांवों में लगेगा।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने कहा कि हमने नेता प्रतिपक्ष को भी एफडीआई को लेकर चिट्ठी लिखी। इसके अलावा किसान संगठनों से चर्चा की। उपभोक्ताओं और अन्य किसान संगठनों से बात की गई। 16 किसान संगठनों ने लिखित में एफडीआई का समर्थन किया। उन्होंने आगे कहा कि एफडीआई पर लोगों को डराया जा रहा है और उनके बीच डर फैलाया जा रहा है। बीच में इस मसले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया भी आई। लेकिन छोटे किराना व्यापारियों को इससे कोई खतरा नहीं है।
सेल्स ब्वाय और सेल्स गर्ल्स के बयान पर शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि देश की गरीब की जनता का अपमान है बयान। आनंद शर्मा जिस समय सदन में एफडीआई पर चर्चा कर रहे थे उस समय सदन में भारी हंगामा भी हुआ।
शर्मा ने कहा कि सरकार ने भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी तथा वाम दलों के नेताओं से भी बातचीत की थी। भाकपा नेता डी राजा, माकपा नेता सीताराम येचुरी और ममता ने उसी समय स्पष्ट कर दिया था कि उनके दल इस निर्णय का समर्थन नहीं कर सकते। लेकिन भाजपा के नेता अब कह रहे हैं कि उनसे बात नहीं की गई। यदि भाजपा के अध्यक्ष अपनी पार्टी के सदस्यों को इस बारे में जानकारी नहीं देते हैं तो ऐसे में सरकार कुछ नहीं कर सकती।
शर्मा ने कहा कि विपक्ष दावा कर रहा है कि इस निर्णय से किसानों पर विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फैसला करने से पहले कृषि क्षेत्र के विभिन्न संगठनों से भी बातचीत की थी। इनमें भारतीय किसान यूनियन, भारतीय कृषक समाज, शेतकारी संगठन जैसे कृषि संगठन शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन कृषि संगठनों ने एफडीआई के बारे में सरकार को लिख कर अपनी सहमति दी है।
वाणिज्य मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्यों के मुख्य सचिवों को इस बारे में लिखा था और 21 राज्यों ने अपनी प्रतिक्रिया भेजी है। उन्होंने कहा कि 11 राज्यों ने सरकार से कहा है कि वह अपने यहां बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इसमें सीमावर्ती राज्य और राजस्थान जैसे बड़े कृषि प्रदेश भी शामिल हैं। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि केवल छोटे छोटे राज्य ही इस फैसले के समर्थन में सामने आए हैं।
उन्होंने इस मामले में विपक्ष पर अनावश्यक भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने यह नहीं कहा है कि एफडीआई निवेश करने वालों को 30 प्रतिशत से अधिक की खरीद स्थानीय स्तर पर नहीं करनी है। उन्होंने कहा कि 30 प्रतिशत की सीमा न्यूनतम है, अधिकतम नहीं।
शर्मा ने कहा कि भारत पहला ऐसा देश है जिसने इस मामले में न्यूनतम सीमा तय की है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा देश में आने वाले निवेश का 50 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में लगाया जाएगा। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
गौर हो कि मल्टीब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर आज शुक्रवार को राज्यसभा में होने वाले महत्वपूर्ण मतदान में यूपीए सरकार की जीत लगभग तय है। गौर हो कि सरकार को भारी राहत प्रदान करते हुए बसपा ने गुरुवार को सदन में घोषणा की कि वह विपक्ष के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करेगी।
हालांकि भाजपा और अन्नाद्रमुक ने बसपा एवं सपा सहित कई दलों को एफडीआई का विरोध करने के बावजूद इस मुद्दे पर सरकार का साथ देने के लिए आड़े हाथों लिया। वहीं, समाजवादी पार्टी आज इस मसले पर वोटिंग के वक्त राज्यसभा से वॉकआऊट करेगी।
भाजपा ने बीते दिन आरोप लगाया कि एफडीआई मामले में बसपा ने जिस तरह से एक दिन के भीतर अपने रुख में बदलाव लाते हुए राज्यसभा में सरकार के पक्ष में वोटिंग करने का निर्णय किया है, उससे दोनों राजनीतिक दलों में सौदेबाजी की बू आ रही है। पार्टी के प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एक दिन के भीतर बसपा के विचारों में इतना ज्यादा बदलाव कैसे हो गया? खुदरा क्षेत्र में एफडीआई मुद्दे पर कल लोकसभा में चर्चा के बाद मत-विभाजन के समय उसने सदन से वाकआउट किया और राज्यसभा में उसकी नेता मायावती ने उसी विषय पर सरकार के पक्ष में मतदान करने का ऐलान कर दिया। वहीं, सरकार का कहना है कि बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के मुद्दे पर बसपा के सरकार के समर्थन में खड़े होने के लिये बसपा प्रमुख मायावती के साथ कोई ‘डील’ नहीं हुई।
उच्च सदन में सपा का समर्थन भी सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। लेकिन उच्च सदन में गुरुवार को हुई चर्चा में सपा ने इस मुद्दे पर अपने पत्ते नहीं खोले तथा सरकार को एफडीआई नीति पर पुनर्विचार करने की नसीहत अवश्य दी। लोकसभा में सपा और बसपा के वाकआउट ने सरकार को मतदान में उबार लिया था।
अब सरकार को उच्च सदन में एक और परीक्षा पास करनी है क्योंकि 244 सदस्यीय राज्यसभा में संप्रग के पास कुल 94 सदस्य है। उसे इस प्रस्ताव को खारिज करने के लिए बसपा और सपा जैसे दलों की समर्थन की खासी जरूरत पड़ेगी। सरकार का साथ देने की राज्यसभा में घोषणा करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि हमने तय किया है कि हम बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर कल सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे। पार्टी के उच्च सदन में 15 सदस्य हैं।
First Published: Friday, December 7, 2012, 13:19