सरकार वोटिंग के बिना FDI पर चर्चा को तैयार: सूत्र

FDI: पीएम ने बीजेपी नेताओं को डिनर पर बुलाया

FDI: पीएम ने बीजेपी नेताओं को डिनर पर बुलायानई दिल्ली: सूत्रों के मुताबिक आज पीएम ने बीजेपी नेताओं को भी डिनर पर न्यौता दिया है। जिसमें सुषमा स्वराज, लालकृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली का नाम लिया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि एफडीआई के मुद्दे पर प्रधानमंत्री संसद में बयान देने को तैयार है। 22 नवंबर को एनडीए के नेताओं को डिनर पर न्यौता दिया गया है।

इससे पहले के घटनाक्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को जो संप्रग नेताओं को रात्रिभोज दिया जिसमें समझा जाता है कि द्रमुक ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार को खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मुद्दे पर संसद में बिना मतदान के चर्चा करानी चाहिए। इससे स्पष्ट है कि द्रमुक की इस मुद्दे पर आपत्तियां हैं।

ऐसी संभावना है कि सरकार इस बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा के समक्ष नियम 193 के तहत संसद में एफडीआई मुद्दे पर चर्चा कराने की पेशकश करेगी जिसमें मतदान नहीं होता है।

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने शीतकालीन सत्र शुरू होने से एक दिन पहले 21 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलायी है जिसमें विचार किये जाने वाले मुद्दों पर चर्चा होगी।

सूत्रों ने बताया कि 18 सांसदों के साथ संप्रग के दूसरे सबसे बड़े घटक दल द्रमुक ने सरकार से कहा है कि वह एफडीआई के महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद में मतदान से परहेज करे।

रात्रिभोज में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, रक्षा मंत्री ए के एंटनी, वित्त मंत्री पी चिदंबरम, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, द्रमुक के टी आर बालू, नेशनल कांफ्रेस के फारूक अब्दुल्ला, राकांपा के प्रफुल्ल पटेल, रालोद के अजीत सिंह, इंडिशन नेशनल मुस्लिम लीग के ई अहमद मौजूद थे। प्रधानमंत्री अपने घटक दलों एवं सहयोगियों से इसलिए संपर्क साथ रहे हैं क्योंकि सरकार के समक्ष इस बात की नौबत आ सकती है कि एफडीआई के मुद्दे पर लाये जाने वाले प्रस्ताव पर मतदान हो। अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने की भी संभावना है।

वाम दलों ने एक प्रस्ताव रखा है जिस पर एफडीआई के मुद्दे पर मतदान करवाया जा सकता है। मुख्य विपक्षी दल भाजपा, उसकी सहयोगी जदयू तथा संप्रग से अपना रास्ता अलग करने वाली तृणमूल कांग्रेस ने भी नोटिस दिये हैं।

विपक्ष में जिनकी ओर से नोटिस दिये गये हैं उनमें तृणमूल के शताब्दी राय, भाजपा के रमेश बेंस, ए टी नाना पाटिल, हंसराज अहीर तथा जदयू के राजीव रंजन सिंह शामिल हैं।

सरकार के लिए परेशानी का एक कारण यह भी है कि उसके एक अन्य घटक दल ने इस मुद्दे पर अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं। ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि तृणमूल कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, November 17, 2012, 08:50

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