IAS अधिकारी दुर्गा शक्ति निलंबन मामला गरमाया

IAS अधिकारी दुर्गा शक्ति निलंबन मामला गरमाया

IAS अधिकारी दुर्गा शक्ति निलंबन मामला गरमायानई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की युवा आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के निलंबन को लेकर सरकार के कथित मनमाने तरीकों और कभी प्रशासन का ‘स्टील फ्रेम’ कहलाने वाली नौकरशाही की गरिमा बहाल करने की व्यवस्था को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस छिड़ गई है। जाने माने, सेवानिवृत्त और सेवारत नौकरशाह नागपाल के पूरे समर्थन में आ गए हैं। नागपाल को रमजान के दौरान स्थानीय तौर पर निर्माणाधीन एक मस्जिद की दीवार कथित तौर पर गिराने के आरोप में निलंबित किया गया है। उत्तर प्रदेश कैडर की वर्ष 2010 के बैच की आईएएस अधिकारी, 28 वर्षीय नागपाल को 27 जुलाई को निलंबित किया गया।

राज्य में समाजवादी पार्टी सरकार के आलोचकों का कहना है कि नागपाल को मस्जिद की दीवार गिराने की वजह से नहीं बल्कि यमुना नदी के तट की रेत का अवैध तरीके से अंधाधुंध खनन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की वजह से निलंबित किया गया है। यह लोग भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में सुधारों का आह्वान कर रहे हैं ताकि सत्ता में मौजूद राजनीतिज्ञों के आगे न झुकने वाले ईमानदार अधिकारियों को आए दिन तबादले और निलंबन सहित अविवेकपूर्ण कार्रवाइयों के जरिये परेशान न किया जाए। पूर्व कैग विनोद राय नागपाल के समर्थन में हैं। विभिन्न घोटालों पर अपनी रिपोर्ट की वजह से सत्ता प्रतिष्ठान की कड़ी आलोचना का निशाना बने राय हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं।

राय ने कहा ‘किसी अधिकारी का निलंबन एक गंभीर मुद्दा है। यह तब किया जाता है जब अधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। उनके (नागपाल के) साथ न्याय नहीं हुआ है क्योंकि उन्हें निलंबन से पहले अपना पक्ष रखने का एक मौका भी नहीं दिया गया।’ उन्होंने कहा कि नागपाल के वरिष्ठ अधिकारियों को उनके साथ खड़े रहना चाहिए। ‘मुख्य सचिव और सचिव (संबद्ध विभाग के) को चाहिए कि वे किसी तरह के दबाव के आगे न झुकें।’ पूर्व आईएएस अधिकारी राय पिछले दिनों ही देश के सर्वोच्च लेखा निकाय के प्रमुख के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) एन विट्ठल की राय में नागपाल के निलंबन का कारण राजनीतिक बैर है। वह इसे देश की नौकरशाही में ‘बहुत ही अस्वस्थ परंपरा’ का उदाहरण करार देते हैं। उन्होंने कहा ‘आजादी के बाद से हमने जो अत्यंत अस्वस्थ परंपरा स्थापित की है, यह उसी का एक और उदाहरण है। निलंबन और तबादला। यह दो तरीके हैं जिन्हें लेकर राजनीतिज्ञ महसूस करते हैं कि वह इनसे नौकरशाहों को अत्यधिक परेशान कर सकते हैं।

विट्ठल ने कहा ‘किसी भी अधिकारी को मनमाने तरीके से निलंबित नहीं किया जाना चाहिए। यह राजनीतिक बैर होता है।’ भ्रष्टाचार निरोधक निकाय केंद्रीय सतर्कता आयोग का प्रमुख बनने से पहले पूर्व आईएएस अधिकारी विट्ठल ने कई पदों पर अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने नौकरशाहों के आए दिन होने वाले तबादलों पर रोक के लिए एक व्यवस्था की मांग की।

विट्ठल ने कहा ‘केंद्र में सेवारत अधिकारियों के मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा किए जाने वाले तबादले की समीक्षा के लिए एक प्रक्रिया होनी चाहिए। राज्य सतर्कता आयोग या लोकायुक्तों को राज्यों में पदस्थ अधिकारियों के ऐसे तबादलों की समीक्षा करनी चाहिए। सीवीसी या लोकायुक्तों की ओर से पुष्टि किए जाने के बाद ही निलंबन जारी रखा जाना चाहिए।’ पूर्व सीवीसी ने कहा कि केंद्र सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। ‘दुर्गा एक युवा अधिकारी हैं। उन्हें तत्काल बहाल करना चाहिए।’ देश के विभिन्न राज्यों में जिस तरह तबादले किए जा रहे हैं उस पर पूर्व मंत्रिमंडलीय सचिव (कैबिनेट सचिव) टी एस आर सुब्रमण्यम गहरा आश्चर्य जताते हैं।

विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके पूर्व आईएएस अधिकारी सुब्रमण्यम कहते हैं ‘नौकरशाही में तबादले अंधाधुंध तरीके से हो रहे हैं। देश भर में, खास तौर पर उत्तर प्रदेश में यह हो रहा है।’ उन्होंने कहा कि नागपाल के निलंबन के बारे में मीडिया में दो तरह की बातें आईं। एक, उन्हें एक धार्मिक ढांचे की दीवार गिराने की वजह से निलंबित किया गया। अधिकारियों के अनुसार, धार्मिक ढांचे की दीवार गिराने से सांप्रदायिक तनाव फैल सकता था। दूसरा, उन्होंने इलाके में सक्रिय खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी।

सुब्रमण्यम ने कहा ‘उच्चतम न्यायालय अपने कई फैसलों में कह चुका है कि सरकारी भूमि पर अवैध तरीके से बनाए गए किसी भी ढांचे को हटा दिया जाना चाहिए। उप संभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) होने के नाते उन्हें उस इलाके में होने वाली अवैध खनन गतिविधियों पर भी रोक लगानी थी।’ उन्होंने सवाल किया ‘दोनों ही बातों को देखते हुए, उनका दायित्व उच्चतम न्यायालय के (अनधिकृत निर्माण को रोकने के) आदेश का पालन करने का या अवैध खनन की गतिविधियों पर रोक लगाने का था। क्या अपने दायित्व का पालन करने पर उन्हें निलंबित किया गया है ? सुब्रमण्यम ने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि इस बात को वह प्रतिष्ठा का विषय न बनाए और तत्काल प्रभाव से नागपाल का निलंबन रद्द करे।

हरियाणा प्रशासन ने वर्ष 1991 के बैच के सेवारत आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का कई बार तबादला किया। खेमका नागपाल के निलंबन को ‘सत्ता के तहत मिले अधिकारों का दुरूपयोग’ बताते हैं। उन्होंने कहा ‘मेरी निजी राय है कि यह पूरी तरह अवांछित था। यह सत्ता के तहत मिले अधिकारों का दुरूपयोग है। बहुत ही कम अधिकारी अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए इस तरह के साहसी कदम उठा पाते हैं। एक युवा और साहसी अधिकारी होने के नाते नागपाल ने नौकरशाही में सुधार की ओर एक सही कदम उठाया।’

पूर्व आईएएस अधिकारी डा जी सुंदरम ने नागपाल के निलंबन को अपमान और सिविलसेवा के अधिकारियों का मनोबल तोड़ने वाली एक कार्रवाई बताया। सुंदरम ने बताया ‘उन्हें निलंबित नहीं किया जाना चाहिए था। यह एक युवा अधिकारी के लिए अपमान वाली बात है। अगर उन्होंने (नागपाल ने) कुछ गलत किया होता तो उनका तबादला किया जा सकता था।’ केंद्र में अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न प्रमुख पदों पर अपनी सेवाएं दे चुके सुंदरम ने यह भी कहा कि युवा राजनीतिज्ञों को जनसेवा के प्रति निष्ठा दिखाने की पहल करनी चाहिए। एक अन्य पूर्व आईएएस अधिकारी ई ए एस सरमा ने कहा कि प्रशासनिक सेवा में सुधार की जरूरत है।

उन्होंने विजाग से फोन पर कहा ‘तबादला, निलंबन, पदोन्नति और अन्य मामलों पर फैसले बिना किसी राजनीतिक बैर के, पूरी तरह पारदर्शिता के साथ एक स्वतंत्र समिति द्वारा किए जाने चाहिए।’ उन्होंने कहा ‘उनका (नागपाल का) निलंबन गलत है। उन्हें तत्काल बहाल किया जाना चाहिए।’ इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया में बाजार नियामक सेबी के अध्यक्ष यू के सिन्हा ने कहा कि आत्मावलोकन की जरूरत है। उन्होंने कहा ‘अगर प्राकृतिक संसाधन की चोरी करने वाले संगठित अपराधियों के समूह के लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के एवज में एक युवा अधिकारी को निलंबित किया जाता है तो ....।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, August 4, 2013, 14:14

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