Last Updated: Monday, January 7, 2013, 23:53

नई दिल्ली : आईआईटी परिषद ने 2013 से स्नातक छात्रों की ट्यूशन फीस को 50 हजार रूपये से 90 हजार रूपये प्रति वर्ष करने को मंजूरी प्रदान कर दी है। मानव संसाधन विकास मंत्री एम एम पल्लम राजू ने आज कहा कि आईआईटी के निदेशकों के समूह और अधिकार प्राप्त कार्य बल ने फीस में संशोधन करने की सिफारिश की थी और संशोधित फीस स्नातक पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वाले नये प्रवेशार्थियों पर लागू होगी। उन्होंने कहा कि फीस में समय समय पर बदलाव किया जा सकेगा।
आईआईटी परिषद की 46वीं बैठक के बाद राजू ने कहा कि अभी आईआईटी में स्नातक पाठ्यक्रम के छात्र 50 हजार रूपये सालाना फीस देते हैं। अधिकार प्राप्त कार्य बल ने काकोदकर समिति की सिफारिशों पर विचार किया। इस समिति ने पिछले वर्ष आईआईटी स्नातक पाठ्यक्रम की फीस को वर्तमान 50 हजार रूपये से बढाकर 2.2.5 लाख रूपये प्रति वर्ष करने की सिफारिश की थी।
आईआईटी निदेशकों के समूह और अधिकार प्राप्त कार्य बल ने इन सिफारिशों में सुझायी गई राशि को घटा दिया। आईआईटी स्नातक पाठ्यक्रम की फीस में आखिरी बार 2008.09 में संशोधन किया गया था जब इसे 25 हजार रूपये से बढ़ाकर 50 हजार रूपये कर दिया गया था।
मानव संसाधन विकास मंत्री पल्लम राजू ने कहा, ‘‘अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों से कोई ट्यूशन फीस नहीं ली जायेगी। इसके साथ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों को मुफ्त होस्टल, भोजन और पुस्तक आदि की सुविधा उपलब्ध होगी।’’ उन्होंने कहा कि 25 प्रतिशत ऐसे छात्र जिनके अभिभावकों की आय प्रति वर्ष 4.5 लाख रूपये से कम है, उन्हें 100 प्रतिशत छात्रवृत्ति प्रदान की जायेगी।
आईआईटी परिषद के सदस्यों ने जोर दिया कि छात्रों को ऋण की सुविधा प्रदान की जायेगी और जेईई उत्तीर्ण किसी छात्र को धन के अभाव में दाखिला देने से मना नहीं किया जायेगा।
गौरतलब है कि काकोदकर समिति की एक प्रमुख सिफारिश थी कि आईआईटी को गैर योजना समर्थन से इतर वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए और अपना परिचालन संबंधी खर्च जुटाना चाहिए। छात्रवृत्ति, सहयोग और आधारभूत संरचना का विस्तार सरकार के योजना मद में सरकारी बजटीय सहयोग से तहत प्रदान किया जाता है। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 7, 2013, 20:55