Last Updated: Friday, May 4, 2012, 12:59
नई दिल्ली : विवादास्पद राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी केन्द्र (एनसीटीसी) के गठन के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मंजूरी हासिल करने के लिए केन्द्र अपनी ओर से पुरजोर कोशिश करेगा। हालांकि शनिवार को होने वाली इस बैठक के हंगामेदार रहने के आसार है।
ओडिशा के नवीन पटनायक, तमिलनाडु की जे.जयललिता और गुजरात के नरेन्द्र मोदी जैसे गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों द्वारा मुख्यमंत्रियों की बैठक में एनसीटीसी का विरोध किये जाने की पूरी संभावना है। केन्द्र ने हालांकि आश्वासन दिया है कि किसी भी राज्य में कार्रवाई से पहले संबद्ध राज्य सरकार को विश्वास में लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृह मंत्री पी. चिदंबरम कुछ उन मुख्यमंत्रियों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करेंगे, जो एनसीटीसी का विरोध कर रहे हैं। इन मुख्यमंत्रियों का कहना है कि एनसीटीसी राज्यों के अधिकारों में अतिक्रमण करेगा और यह देश के संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाएगा। सूत्रों ने बताया कि संप्रग के घटक तृणमूल कांग्रेस की नेता एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपना विरोध कम कर सकते हैं और वे एनसीटीसी के गठन पर राजी हो सकते हैं।
इस सप्ताह की शुरुआत में गृह मंत्री ने कहा था कि एनसीटीसी के परिचालन को लेकर मानक कार्रवाई प्रक्रिया (एसओपी) के दो मसौदे राज्यों को भेजे गए हैं और इन मसौदों से उन मुख्यमंत्रियों की आशंकाओं का समाधान होगा, जिन्होंने चिन्ता व्यक्त की है। चिदंबरम ने कहा था कि उन्हें लगता है कि एसओपी के मसौदे पढ़ने के बाद काफी आशंकाओं का समाधान हो जाएगा और 5 मई की बैठक में मुख्यमंत्री यदि एसओपी पर कोई सुझाव देते हैं तो उन्हें सुना जाएगा और जहां तक संभव होगा, उन्हें मसौदे में शामिल किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई राज्यों और केन्द्र की साझा जिम्मेदारी है।
गृह मंत्रालय ने 5 मई को विशेष रूप से बुलाई गई इस बैठक का एजेंडा भी वितरित किया है। प्रस्तावित एनसीटीसी के अधिकार, उद्देश्य, ढांचे आदि के बारे में भी समझाया गया है। एजेंडा पेपर के अनुसार, स्थायी परिषद जब जरूरी होगा, बैठक करेगी और वह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए भी बैठक कर सकती है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, May 4, 2012, 18:29