Last Updated: Monday, April 15, 2013, 00:38

नई दिल्ली : भाजपा के एक वर्ग द्वारा प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश किये जा रहे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को नकारते हुए जदयू ने रविवार को भाजपा से स्पष्ट कहा कि वह इस साल के अंत तक प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दे और उम्मीदवार ऐसा हो जिसकी धर्मनिरपेक्ष साख देश में संदेह से परे हो।
जदयू की राष्ट्रीय परिषद में आज पारित राजनैतिक प्रस्ताव के अनुसार, प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए कि जिसकी धर्मनिरपेक्ष छवि देश में संदेह से परे हो, जो समावेशी विकास का पक्षधर हो और पिछड़े वर्ग एवं क्षेत्रों तथा सभी को साथ लेकर चलने का हिमायती हो।
प्रस्ताव में कहा गया है कि उसकी साख अटल बिहारी वाजपेयी की तरह हो अन्यथा इसके नकारात्मक परिणाम होंगे।
पार्टी ने कहा, ‘भाजपा का दायित्व है कि उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार तय करे। इस वर्ष के अंत तक भाजपा प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम अवश्य बताये, जैसी परंपरा पूर्व में रही है।’
प्रस्ताव में कहा गया है,‘जदयू का स्पष्ट मत है कि राजग के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार आम चुनाव से पहले घोषित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जो राजग के राष्ट्रीय एजेंडा और पूर्व में निर्धारित तीन मुद्दों (अयोध्या में राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता) को लेकर प्रतिबद्ध हो।’
प्रस्ताव के अनुसार, ‘उसकी छवि भारत जैसे बहुधर्मी और बहुभाषी देश के अनुरूप हो और उसकी धर्मनिरपेक्ष साख देश में संदेह से परे हो। वह समावेशी राजनीति के पक्ष में हो और पिछड़े वर्ग एवं क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध हो।’
प्रस्ताव में कहा गया है कि देश का राजनीतिक परिदृश्य निराशाजनक है। संप्रग सरकार कमजोर है और इसके समय में राजनीतिक संस्थाओं एवं मूल्यों का ह्रास हुआ है। सरकार नीतिगत जड़ता का शिकार हो गई है और देश में निवेश बंद हो गया है।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘बेरोजगारी और महंगाई ने गरीबों को और गरीब बना दिया है। गरीब-अमीर की खाई बढ़ी है। पिछले कई वर्षों में देश का विकास दर घटा है। देश के संघीय ढांचे पर प्रहार हुआ है।’
अपने आप को प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अलग करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई भ्रम नहीं है और वह पार्टी की सीमित ताकत को समझते हैं।
जदयू की राष्ट्रीय परिषद की बैठक को संबोधित करते हुए नीतीश ने कहा, ‘हमें कोई भ्रम (प्रधानमंत्री बनने को लेकर) नहीं है। हम इतनी सीमित ताकत के आधार ऐसा कोई भ्रम नहीं पाले हुए हैं। अगर हम कोई ऐसा भ्रम पालेंगे तो हमारा भी वही हश्र होगा जो आई के गुजराल, चौधरी चरण सिंह और चंद्रशेखर का हुआ। यही सचाई है।’
बैठक के दौरान उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने के पार्टी के कुछ नेताओं के प्रयास के लिए फटकार लगाते हुए नीतीश ने कहा, ‘यह कहना बंद करो, वर्ना आप तो कह देंगे लेकिन अगर लोगों ने इसे (समाचार) चला दिया तो हम क्या करेंगे।’
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि राजग अपने मतभेदों को दूर कर लेगी। उन्होंने कहा, ‘हमारा गठबंधन 17 वर्ष पुराना है। हम इसे चलाना चाहते हैं।’ नीतीश ने समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने की क्षमता के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की प्रशंसा की और इस बात पर जोर दिया कि वह (नीतीश) सहयोगी भाजपा के साथ गठबंधन को बनाये रखना चाहते हैं।
नीतीश ने कहा कि देश के विकास की रफ्तार पहले जैसी नहीं रही, इसमें गिरावट आई है लेकिन बिहार ने शून्य से शुरुआत की और विकट परिस्थितिओं के बावजूद हम आगे बढे। विकास कई राज्यों का हो रहा है लेकिन यह देखना होगा कि किस राज्य ने अपनी यात्रा कहां से शुरू की।
उन्होंने कहा, ‘हमने न्याय के साथ विकास को आगे बढ़ाया है। विकास में सभी वर्गो को भागीदार बनाया जाए और इसका लाभ सभी को मिले।’ मोदी का नाम लिये बिना उनपर परोक्ष निशाना साधते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार पहला राज्य है जिसने पंचायतों एवं नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया और चुनाव कराये।
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कहीं तो लोग महिला सशक्तिकरण की चर्चा करते हैं, हमने इसे धरती पर उतार कर दिखा दिया है। बिहार में हम पुलिस की भर्ती में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देने जा रहे हैं।’
गौरतलब है कि नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में दिल्ली में एक कार्यक्रम में अपने राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में किये गए प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा था कि गुजरात की राज्यपाल महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी नहीं दे रही हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, April 14, 2013, 23:44