Last Updated: Monday, August 26, 2013, 20:52
नई दिल्ली : सरकार ने उच्चतम न्यायालय के दो फैसलों को प्रभावहीन करने के लिए सोमवार को राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया। इसके तहत जेल में बंद होने के दौरान चुनाव लड़ने तथा अपील के लंबित होने के दौरान सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने की अनुमति देने का प्रावधान है, लेकिन इस दौरान उन्हे मतदान और वेतन हासिल करने का अधिकार नहीं रहेगा।
इन प्रावधानों वाले लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन और विधि मान्यकरण) विधेयक को कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने सदन के पटल पर रखा। इसके जरिये 1951 के मूल कानून में दो बदलाव किये जायेंगे।
यदि यह विधेयक संसद से पारित होने के बाद कानून बन गया तो यह 10 जुलाई 2013 से लागू होगा। उसी दिन उच्च न्यायालय ने दो निर्णय दिये थे। इनके तहत दोषी साबित किये गये सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता को समाप्त करने तथा ऐसे लोगों के जेल से चुनाव लड़ने पर रोक लगायी गयी है।
विधेयक के कारणों एवं उद्देश्यों में कहा गया कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय के उक्त आदेश की समीक्षा की है तथा भारत के एटार्नी जनरल से विचार-विमर्श कर इस आदेश के खिलाफ पुनरीक्षा याचिका दायर की है।
इसमें कहा गया, ‘इसके अतिरिक्त सरकार का यह मत है कि उक्त पुनरीक्षा याचिका के निर्णय की प्रतीक्षा किये बिना उच्चतम न्यायालय के आदेश से पैदा हुई स्थिति से उपयुक्त रूप से निबटने की जरूरत है। अत: उक्त कानून का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है।’
एक संशोधन के अनुसार किसी सांसद, विधायक या विधान पाषर्द को तब अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता है जब वह दोषी साबित होने के 90 दिनों के भीतर अपील दाखिल कर देता है और इस प्रकार के दोष सिद्धि पर रोक लगा दी जाती हो। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 26, 2013, 20:52