Last Updated: Monday, March 19, 2012, 07:28
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अनुमानित लगभग सात प्रतिशत की विकास दर, कठिन वैश्विक आर्थिक हालातों के मद्देनजर प्रशंसनीय मानी जानी चाहिए। उन्होंने आशा जाहिर की कि देश शीघ्र ही विकास की उच्च दर पर वापस लौटेगा। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए सिंह ने कहा कि 2011-12 सभी देशों के लिए एक कठिन वर्ष रहा है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक देशों में इस वर्ष लगभग 1.6 प्रतिशत विकास दर रही है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार श्रीलंकाई तमिलों को लेकर चिंतित है और संयुक्त राष्ट्र में तमिल मुद्दे पर प्रस्ताव का समर्थन करेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे लगभग सात प्रतिशत के आर्थिक प्रदर्शन को प्रशंसनीय माना जाना चाहिए।"उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसे स्वीकार्य नहीं समझा जाना चाहिए। सिंह ने कहा, हमें अगले वर्ष इसे उच्च विकास पथ पर लाने की कोशिश करनी चाहिए।
राष्ट्रपति पाटील ने पिछले सप्ताह संसद की संयुक्त बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा था कि देश जल्द ही मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अनुमानित सात प्रतिशत की विकास दर से आठ से नौ प्रतिशत की उच्च विकास दर पर वापस लौटेगा।
मनमोहन सिंह ने रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी के इस्तीफे की भी पुष्टि की और कहा कि उनका इस्तीफा देर रात मिला था जिसे उन्होंने राष्ट्रपति के पास भेज दिया । उन्होंने कहा कि त्रिवेदी का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है और नया रेल मंत्री जल्द ही नियुक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा कि त्रिवेदी के जाने का उन्हें दुख है।
उन्होंने आतंकवाद-नक्सलाद से काबू पाने को देश के लिए बड़ी चुनौती बताया। पीएम ने कहा कि देश में आतंकवाद और नक्सलवाद पर काबू पाने के लिए हर मुमकिन कदम उठाए जाएंगे।
मनमोहन सिंह ने कहा कि एनसीटीसी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी राज्यों को भरोसे में लेने के बाद इसे लागू किया जाएगा। राज्यों के मुख्यमंत्रियों की 16 अप्रैल को होने वाली बैठक से पहले एनसीटीसी पर पर्याप्त सलाह मशविरा किया जाएगा
पीएम ने इस दौरान तमिल मुद्दे का भी जिक्र किया और कहा कि भारत सरकार डीएमके के उठाए गए मुद्दे पर संजीदा है। उन्होंने कहा कि हमारी मदद से श्रीलंका में हालात सुधरे हैं। मनमोहन ने कहा कि भारत सरकार श्रीलंकाई तमिलों को लेकर चिंतित है और इस मसले पर पूरी सहानुभूति रखती है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका सरकार से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कहा गया है। साथ ही कहा कि हम श्रीलंका मसले पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्ताव के समर्थन में वोट देना चाहते हैं।
First Published: Tuesday, March 20, 2012, 12:02