Last Updated: Tuesday, March 19, 2013, 13:44

ज़ी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
चेन्नई/नई दिल्ली : श्रीलंका में तमिलों के कथित मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर द्रमुक ने मंगलवार को संप्रग से अपना समर्थन वापस ले लिया और उसके पांच केंद्रीय मंत्री मंत्रिमंडल से बाहर हो गए। हालांकि कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने कहा कि उसकी स्थिरता को कोई खतरा नहीं है।
द्रमुक सुप्रीमो ने संप्रग के साथ अपनी पार्टी के नौ साल के गठजोड के अंत की घोषणा करते हुए गठबंधन में वापसी का रास्ता भी खोले रखा और कहा कि अगर संसद 21 मार्च से पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में पेश होने वाले अमेरिका समर्थित प्रस्ताव में उनके सुझाए दो संशोधनों को शामिल करने के प्रस्ताव को पारित करती है तो पार्टी अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है। करुणानिधि के साथ कल उनकी मांगों को लेकर मुलाकात करने वाले तीन केंद्रीय मंत्रियों की टीम में शामिल वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कोई संकट नहीं है और सरकार के पास बहुमत है और वह ‘ पूरी तरह स्थिर’ है।
द्रमुक के लोकसभा में 18 सदस्य हैं और उसके बाहर निकलने के साथ ही सत्तारूढ गठबंधन की संख्या घटकर 224 रह गई है। हालांकि संप्रग को अभी भी 281 सांसदों का समर्थन हासिल है, जिनमें बाहर से समर्थन कर रही पार्टियां शामिल हैं। सदन में समाजवादी पार्टी के 22 सदस्य और बसपा के 21 सदस्य सहित 57 सदस्य सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं जिससे संप्रग 272 के जादुई आंकड़े को प्राप्त करती है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार श्रीलंका के खिलाफ प्रस्ताव लाने के लिए तैयार हो गई है और डीएमके की दो मांगों पर विचार किया जा रहा है। वहीं, करुणानिधि ने कहा है कि हम अपने फैसले पर फिर से विचार कर सकते हैं। 21 मार्च को हम अपने फैसले पर फिर से विचार कर सकते हैं। करुणानिधि के बयान के बाद कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक हुई, जिसमें डीएमके के कदम पर विचार किया गया।
उधर, डीएमके के समर्थन वापस लेन के बाद बीजेपी ने कहा है कि यूपीए जुगाड़ की सरकार हो गई है। गौर हो कि डीएमके ने यह कदम संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआर) में श्रीलंका के खिलाफ लाए जाने वाले प्रस्ताव पर भारत के रुख को लेकर उठाया है। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री व डीएमके के अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने संवाददाताओं से कहा कि इस सरकार में शामिल रहना श्रीलंकाई तमिलों के साथ अन्याय होगा। डीएमके के अध्यक्ष करुणानिधि ने इस बात से भी इनकार किया कि उनकी पार्टी संप्रग को बाहर से समर्थन देगी।
पिछले साल द्रमुक द्वारा फिर से शुरू किए गए तमिल समर्थक संगठन टेसो की आपात बैठक की अध्यक्षता करने के बाद करूणानिधि ने मनमोहन सिंह सरकार पर श्रीलंका के खिलाफ अमेरिकी प्रस्ताव को मजबूती नहीं देने के साथ प्रस्ताव के लिए द्रमुक के सुझाए किसी भी संशोधन पर विचार तक नहीं करने का आरोप लगाया। अपने पढे गए वक्तव्य में उन्होंने चेन्नई में कहा कि जब स्थिति ऐसी बनाई जा रही है जिससे तमिल ईलम को कोई फायदा नहीं हो, तब सरकार में द्रमुक का जारी रहना तमिल नस्ल के लिए बड़ा नुकसान है। (इसलिए) यह फैसला किया गया है कि द्रमुक कैबिनेट और गठबंधन से बाहर होगी।
चिदंबरम ने कहा कि संसद में प्रस्ताव पारित करने की द्रमुक की मांग पर सरकार विचार विमर्श कर रही है। चिदंबरम ने दिल्ली में संवाददाताओं को कहा कि हम आपको आश्वस्त करते हैं कि सरकार की स्थिरता और सरकार का बने रहना मुद्दा नहीं हैं। सरकार पूरी तरह स्थिर है और उसे लोकसभा में बहुमत हासिल है। चिदंबरम ने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री की उस टिप्पणी को भी रेखांकित किया कि द्रमुक अपने फैसले की समीक्षा करेगी।
यह पूछे जाने पर कि अगर केंद्र संसद में प्रस्ताव पारित करने की उनकी मांग को मान लेता है तो क्या वह गठबंधन छोड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करेंगे, करूणानिधि ने कहा कि हम अपनी राय बदलने को तैयार हैं। केंद्र सरकार में द्रमुक के एक केंद्रीय मंत्री और चार कनिष्ठ मंत्री हैं।
First Published: Tuesday, March 19, 2013, 11:25