Last Updated: Friday, February 8, 2013, 19:38

नई दिल्ली : सरकार ने शुक्रवार को दावा किया कि अति विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा उन पर खतरे के जोखिम के आधार पर कम की जा सकती है लेकिन किसी को अनावश्यक सुरक्षा नहीं दी गई है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि पुलिस की सुरक्षा शाखा खतरे के जोखिम के आधार पर इस बात का आकलन करती है कि किसे सुरक्षा की जरूरत है और किसे नहीं तथा यह सतत प्रक्रिया है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा,‘यदि कहीं आवश्यकता से अधिक सुरक्षा है तो उसे कम करने की जरूरत है। मैं कह सकता हूं कि यदि अत्यधिक सुरक्षा हुई तो उसकी समीक्षा की जाए और कम की जाए। लेकिन कोई अनावश्यक सुरक्षा नहीं है।’
हालांकि उन्होंने इस बात केा लेकर भी सावधान किया कि जब भी किसी व्यक्ति का सुरक्षा कवच हटाया जाता है तो उस पर जानलेवा हमले के प्रयास होते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कल कहा था कि जिन पुलिस कर्मियों को अतिविशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा की ड्यूटी पर लगाया जाता है उन्हें महिलाओं के लिए सड़क सुरक्षित बनाने जैसे उद्देश्यों के लिए तैनात किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अगुवाई वाली पीठ ने अधिक संख्या में अतिविशिष्ट लोगों को पुलिस सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल उठाया है। पीठ ने कहा कि यदि विभिन्न अदालतों के न्यायाधीशों को दिए गए सुरक्षाकर्मी वहां से हटाकर सड़कों पर तैनात किए जाएं तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। (एजेंसी)
First Published: Friday, February 8, 2013, 19:38