VVIP की सुरक्षा पर SC ने खर्च का ब्यौरा मांगा

VVIP की सुरक्षा पर SC ने खर्च का ब्यौरा मांगा

VVIP  की सुरक्षा पर SC ने खर्च का ब्यौरा मांगानई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से अतिविशिष्ट व्यक्तियों के परिजनों और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों सहित विभिन्न श्रेणी के व्यक्तियों को उपलब्ध करायी जा रही सुरक्षा पर हुये खर्च का विवरण मांगा है।

न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एच एल गोखले की खंडपीठ ने लाल बत्ती की गाड़ियों के दुरुपयोग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रप्रति, प्रधानमंत्री और राज्यों में इसके समकक्ष सांविधानिक पदों पर आसनी व्यक्तियों की सुरक्षा पर होने वाले खर्च का विवरण नहीं चाहते हैं।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘केन्द्र, सभी राज्य सरकारें और केन्द्र शासित प्रशासक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप राष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यों में उनके समकक्ष सांविधानिक पदाधिकारियों से इतर सार्वजनिक व्यक्तियों ओर निजी व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करने पर हुये कुल खर्च का विवरण पेश करेंगे।’

न्यायालय ने करीब दो घंटे की सुनवाई के बाद यह आदेश दिया। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुरक्षा प्रदान करने के प्रावधानों और लाल बत्ती लगाने के नियमों के दुरुपयोग के बारे में अनेक उदाहरण पेश किये।

उन्होंने रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी से संबंधित घटना का जिक्र करते हुये कहा कि अपने सुरक्षाकर्मियों और समर्थकों से घिरे रेल राज्य मंत्री ने पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद मे जिलाधिकारी के सरकारी मकान में घुसकर तोड़फोड़ की।

तमिलनाडु सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुये सालवे ने कहा कि ब्रिटिश हुकूमत में प्रदान सम्मान के कारण ही आर्कोट के राजकुमार को सुरक्षा प्रदान की जा रही है।

उन्होंने कहा, ‘यह समस्या अब एक बीमारी का रूप ले चुकी है और यह राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।’ उत्तर प्रदेश के निवासी अभय सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने साल्वे द्वारा पेश दो दस्तावेज के अवलोकन के बाद अनेक निर्देश दिये।

न्यायालय ने कहा,‘यदि सड़कें असुरक्षित हैं तो यह राज्य के सचिव के लिये भी असुरक्षित होनी चाहिए।’ इससे पहले, साल्वे ने भी पूर्व प्रधानमंत्री इन्द्रकुमार गुजराल के अंतिम संस्कार के दौरान तीन दिसंबर को अति विशिष्ट व्यक्तियों के सुगम आवागमन के लिये यातायात रोकने और सुरक्षा बंदोबस्त को लेकर एक अर्जी दायर की थी।

याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सिंघवी ने टिप्पणी की, ’आई के गुजराल ने अपने जीवन काल में ऐसा नहीं किया होगा लेकिन उनके शव ने ऐसा कर दिया।’ साल्वे ने कहा, ‘मैं तो सिर्फ न्यायालय का ध्यान आकषिर्त करना चाहता हूं कि हमारी कॉलोनी में ही एक आलीशान मकान के सामने हरियाणा पुलिस की पांच गाड़ियां तैतान हैं ओर पूछताछ के दौरान पता चला कि वे मुख्यमंत्री के एक रिश्तेदार की सुरक्षा में हैं।’

साल्वे ने कहा, ‘एक राज्य की हथियारों से लैसे पुलिस दूसरे राज्य की सीमा में कैसे प्रवेश कर सकती है। यह एक सिलसिला बन गया है। इससे पहले, एक व्यावसायी की पंजाब पुलिस ने एक मामले के संबंध में पिटाई की थी। खुशकिस्मती से उसके पास बेंगलुरू से दिल्ली की इंडियन एयरलाइंस की उड़ान का बोर्डिंग पास था। सभी इतने खुशकिस्मत नहीं हैं।’

न्यायाधीशों ने इन दस्तावेज का संज्ञान लेते हुये कहा कि सभी नागरिकों से समान व्यवहार होना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्य के खर्च पर तमाम व्यक्तियों को प्राप्त सुरक्षा और इन पर होने वाले खर्च का विवरण पेश करने सहित अनेक निर्देश दिये।

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘सार्वजनिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के बच्चों, परिवार के सदस्यों और दूसरे रिश्तेदारों को राज्य के भीतर और राज्य के बाहर प्रदान की गयी सुरक्षा का विवरण पेश किया जाये। आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उन व्यक्तियों का भी विवरण पेश किया जाये जिन्हें शासन के खर्च पर सुरक्षा प्रदान की गयी है।’

विजय माल्या सरीखे उद्यमियों सहित तमाम व्यक्तियों को प्राप्त सुरक्षा के बारे में विभिन्न राज्य सरकारों के हलफनामों के आधार पर साल्वे की दलीलों पर विचार करते हुये न्यायालय ने निजी व्यक्तियों को प्राप्त ऐसी सुरक्षा के बारे में भी जवाब मांगा है। न्यायालय जानना चाहता है कि इस तरह की सुरक्षा का खर्च ये निजी व्यक्ति वहन करते हैं या फिर सरकार इसका खर्च उठा रही है।

न्यायालय ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से ऐसे व्यक्तियों को प्रदान की गयी सुरक्षा की समय समय पर होने वाली समीक्षा का भी विवरण मांगा है।

न्यायाधीशों ने कहा,‘सभी राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश उन नियमों और आदेशों की प्रतियां भी दाखिल करेंगे जिनके तहत पुलिस या दूसरे पदाधिकारियों को व्यक्तियों के आवागमन के दौरान सड़कें बंद करने का अधिकार प्राप्त है।’

अतिविशिष्ट व्यक्तियों के आवागमन के दौरान सुरक्षाकर्मियों द्वारा साइरन बजाने से होने वाली परेशानियों के संदर्भ में न्यायालय ने इस मसले पर भी जवाब मांगा है। लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि एम्बुलेंस और सुरक्षा बलों के वाहन नियामक उपायों के दायरे में नहीं आयेंगे।

इस मामले की सुनवाई के दौरान साल्वे ने कहा कि केन्द्र सरकार को इस बारे में दिशा निर्देश तैयार करने और व्यक्तियों को दी गयी सुरक्षा की समीक्षा करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राजनयिक कारणों और शासन के औपचारिक समारोंहों के अलावा सड़कों को बंद नहीं किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सालिसीटर जनरल सिद्धार्थ लूथरा से जानना चाहा है कि किस आधार पर लोगों को सुरक्षा प्रदान की जा रही है।

इसी तरह न्यायालय ने केन्द्र सरकार से ‘उच्च पदाधिकारियों’ का तात्पर्य भी पूछा है। न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब तो लाल बत्ती की गाड़ी हैसियत का प्रतीक बन गयी है। हम खुद पहल करेंगे। हमारे वाहनों से लाल बत्ती हटायी जाये। न्यायालय ने इसके साथ ही इस बारे में गृह मंत्रालय से जवाब मांगा है।

इससे पहले, न्यायालय ने कहा था कि महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मियों को सड़कों पर महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने जैसे बेहतर कामों में तैनात किया जाना चाहिए।

न्यायालय ने कहा था कि यदि विभिन्न अदालतों के न्यायाधीशों की सुरक्षा हटाकर सड़कों पर तैनात कर दी गयी तो उन्हें भी कोई परेशानी नहीं होगी। (एजेंसी)

First Published: Thursday, February 14, 2013, 13:22

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