अध्यादेश को वापस लिया जाना चाहिए : नीतीश कुमार

अध्यादेश को वापस लिया जाना चाहिए : नीतीश कुमार

अध्यादेश को वापस लिया जाना चाहिए : नीतीश कुमारपटना : सांसदों और विधायकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद अध्यादेश पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की टिप्पणी को सही बताते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को उसे वापस लिए जाने का सुझाव दिया है।

यहां श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल प्रांगण में आज संवाददाताओं द्वारा सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बचाने संबंधी अध्यादेश के बारे में प्रश्न पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि इसके लिए अध्यादेश लाया जाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने जो कहा है वह ठीक कहा है। ऐसी परिस्थिति में इसे वापस ले लेना चाहिये।

नीतीश ने कहा कि अभी कुछ नहीं बिगड़ा है, क्योंकि राष्ट्रपति की स्वीकृति उक्त अध्यादेश पर अभी नहीं मिली है। ऐसी परिस्थिति में अध्यादेश को वापस ले लेना ही सबसे अच्छा तरीका है। उन्होंने कहा कि जब भी कानून बनाना हो तो संसद में बहस करके कानून बनाया जाना चाहिये। ऐसी चीजों को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिये।

नीतीश ने कहा कि अनुचित से पीछे हट जाते हैं और अनुचित काम को रोक देते हैं तो इससे प्रतिष्ठा बढती है, घटती नहीं। उन्होंने कहा कि सचेत होकर कार्य करने से प्रतिष्ठा बढ़ती है। यह विवादित विषय था। इस पर और चर्चा होनी चाहिए थी। नीतीश ने कहा कि इस मामले में पिछले दरवाजे से अध्यादेश के जरीये कानून बनाने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिये बल्कि सबसे चर्चा कर कानून बनाना चाहिये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी समझ से जब भी कानून बनाने की बात हो तो इसे संसद पर छोड़ देना चाहिये। देश का जनमत इसके खिलाफ था। सत्तारुढ दल के बड़े नेता ने भी इसके विरुद्ध टिप्पणी की है। यह पूछे जाने पर कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के मदद पहुंचाने के बारे में नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोगों को क्या मालूम कि किसके दबाव में या किस कारण से यह अध्यादेश लाया गया है। उन्होंने कहा कि केंन्द्र सरकार के संबंद्ध मंत्री ही बता सकते हैं कि यह अध्यादेश किस कारण और किसके दबाव पर लाये गये हैं।

उल्लेखनीय है कि गत मंगलवार को कैबिनेट द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद से राजनीतिक दल के साथ सिविल सोसाइटी के लोगों ने भी सरकार की आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार दोषी ठहराये गये सांसदों और विधायकों को बचाने की कोशिश कर रही है।

यह अध्यादेश उन सांसदों और विधायकों को राहत देता है, जो दो साल या इससे अधिक सजा वाले किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिये जाने पर तत्काल अयोग्य घोषित हो सकते थे। उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि यदि किसी सांसद या विधायक को कोई अदालत ऐसे अपराधों के लिए दोषी ठहराती है, जिनमें दो साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है तो ऐसे सांसद या विधायक तत्काल अयोग्य हो जाएंगे। सरकार ने फैसले की समीक्षा के लिए एक याचिका शीर्ष अदालत में इस महीने की शुरूआत में दाखिल की थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने नामंजूर कर दिया था। (एजेंसी)

First Published: Saturday, September 28, 2013, 18:17

comments powered by Disqus