Last Updated: Tuesday, June 4, 2013, 14:27
ठाणे: पिछड़ा वर्ग आवास योजना का दुरुपयोग कर 92 लाख रूपए की हेराफेरी करने के आरोपों के एक मामले में स्थानीय अदालत ने वरिष्ठ नौकरशाहों समेत सभी 61 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट एएन सोनटक्के की अदालत द्वारा बरी किए गए आरोपियों में पूर्व अवर सचिव विजय एन इतकयाल और वीडी नाइक, एसएन गावित एवं ललिता इतकियाल समेत दूसरे वरिष्ठ अधिकारी एवं महाराष्ट्र सरकार, शहर और औद्योगिक विकास निगम (सीडको) के कर्मचारी तथा कुछ भवन निर्माता शामिल हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी अधिकारियों ने, जिनमें अधिकतर मंत्रालय के थे, नवी मुंबई के एक भवन निर्माता के साथ मिलकर 1999 में सिटी टावर कोआपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी बनायी थी और नेरूल में 16,000 वर्ग फुट के भूभाग की खरीद के लिए आदिवासी विकास मंत्रालय से 1.44 करोड़ रुपए की सहयोग राशि मांगी थी।
सोसाइटी को मार्च, 1999 में 92 लाख रुपयों की पहली किश्त जारी की गयी थी। लेकिन जांच में पता चला कि हाउसिंग सोसाइटी पंजीकृत नहीं थी और नेरूल में जिस भूमि को खरीदने का दावा किया गया था वह मूल रूप से सीआईडीसीओ के 20 मालियों को सब्सिडी की दर पर उनके हाउसिंग सोसाइटी के लिए दी गयी थी।
ठाणे के आदिवासी विकास उपायुक्त ने वर्ष 2000 में कोआपरेटिव सोसाइटी अधिनियम, 1960 की धारा 147 और राज्य के साथ धोखाधड़ी के लिए भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत 64 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और दूसरी एजेंसियों ने मामले की जांच की थी। कुल 64 आरोपियों में से तीन का सुनवाई के दौरान निधन हो गया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 4, 2013, 14:27