Last Updated: Friday, July 5, 2013, 10:02
ज़ी मीडिया ब्यूरो अहमदाबाद : साल 2004 के इशरत जहां मुठभेड़ मामले में सीबीआई में शुक्रवार को मुकम्मल चार्जशीट दाखिल कर सकती है। इससे पहले, यहां विशेष अदालत में बुधवार को दाखिल किए गए पहले आरोपपत्र में सीबीआई ने कहा है कि इशरत के साथ मारे गए तीन लोगों में से एक ने कथित फर्जी मुठभेड़ से पहले गुजरात पुलिस को बताया था कि उसने अहमदाबाद में आतंकी घटना को अंजाम देने की साजिश रची थी लेकिन एजेंसी को इस तरह का कोई सबूत नहीं मिला है कि वे यहां मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने के इरादे से आए थे। वहीं, इशरत मुठभेड़ मामले में इस्तेमाल किए गए हथियार गुजरात पुलिस को सब्सिडियरी इंटेलीजेंस ब्यूरो ने उपलब्ध कराए थे। सीबीआई द्वारा यहां विशेष अदालत में दाखिल पहले आरोपपत्र में यह खुलासा किया गया है।
सीबीआई के अनुसार फर्जी मुठभेड़ से पहले इशरत, अमजद अली राणा और दो अन्य को गुजरात पुलिस की अवैध हिरासत में रखा गया था। आरोपपत्र के मुताबिक, मारे गए अमजद अली राणा ने गांधीनगर के पास अरहम फार्म में अवैध हिरासत के दौरान बताया था कि वह अहमदाबाद में किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने की साजिश के साथ अहमदाबाद आया था।
आरोपपत्र के मुताबिक, डीजी वंजारा, राजिंदर कुमार, एन के अमीन और जी एल सिंघल ने अमजद अली से अरहम फार्म में उसकी हिरासत के दौरान उससे मुलाकात की थी। उस वक्त अमजद अली ने कहा था कि वह अहमदाबाद में किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने की साजिश के साथ अहमदाबाद आया था। आरोपपत्र में यह नहीं बताया गया है कि क्या सीबीआई ने राणा की साजिश के बारे में खुद किसी सबूत का पता लगाया है।
आरोपपत्र में इस बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया है या ज्यादा विस्तार से नहीं बताया गया है कि क्या इशरत और तीन अन्य शख्स आतंकवादी थे या उनके आतंकवादियों के साथ रिश्ते थे लेकिन यह कहा गया है कि गुजरात पुलिस के दावे के विपरीत चारों की राज्य के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की कोई योजना नहीं थी।
आरोपपत्र में कहा गया है कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए पहले आईपीएस अधिकारी गिरीश सिंघल, डीजी वंजारा के निर्देश पर एसआईबी गए थे और हथियार हासिल किए थे। आरोपपत्र में आगे कहा गया है कि सिंघल ने बाद में हथियार निजामुद्दीन सैयद को सौंप दिए जिसने बदले में उन्हें तरूण बरोट को सौंप दिया। सैयद, बरोट के कमांडो थे। इसमें आगे कहा गया है कि पुलिस कमांडो मोहन कलासवा को एके 56 राइफल (अमजदली राणा के कब्जे से बरामद दिखाई गई) से एनके अमीन के सरकारी जिप्सी वाहन पर कई फायर करने को कहा गया। इस एके 56 राइफल को मौके पर तरूण बरोट लेकर आया था। इस हथियार से गोलीबारी करने के बाद, इसे अमजदली के शव के पास रख दिया गया। कलासवा उस समय अपराध शाखा में पुलिस कमांडो था और 2007 में उसकी मौत हो गई थी। सीबीआई ने आरोपपत्र में उसे नामजद नहीं किया है।
सीबीआई की जांच में पाया गया है कि गुजरात पुलिस के पांच लोगों की ओर से विभिन्न हथियारों से 70 गोलियां दागी गई और एके 47 से इशरत तथा हिरासत में रखे गए तीन अन्य लोगों को मारा गया।
First Published: Friday, July 5, 2013, 10:02