इशरत मामला: पुलिस अधिकारियों की हिरासत 28 तक बढ़ी

इशरत मामला: पुलिस अधिकारियों की हिरासत 28 तक बढ़ी

इशरत मामला: पुलिस अधिकारियों की हिरासत 28 तक बढ़ीअहमदाबाद : एक स्थानीय अदालत ने आज दो पुलिस अधिकारियों तरूण बरोट और भरत पटेल की हिरासत की अवधि तीन और दिन के लिए बढ़ा दी। इशरत जहां की कथित मुठभेड़ में हत्या के मामले में सीबीआई ने शनिवार को इन पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच एस खतवाड़ ने कहा, ‘‘आरोपी पुलिस अधिकारियों को आगे की पूछताछ के लिए 28 फरवरी तक की पुलिस हिरासत में भेजा जाता है।’’ एजेंसी ने पूर्व में कहा था कि दोनों आरोपियों ने एक दिन की पुलिस हिरासत के दौरान बचने की युक्तियां अपनायी और जांचकर्ताओं से सहयोग नहीं किया। अदालत ने कल इन दोनों को एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा था।

सीबीआई के वकील अभिषेक अरोड़ा ने कहा, ‘‘मुठभेड़ का मामला पुराना है तथा आरोपी पुलिस अधिकारी पूछताछ के दौरान महत्वपूर्ण सबूतों को छिपाने के लिए विभिन्न युक्तियां अपना रहे हैं।’’ सीबीआई ने दलील दी कि आरोपी पुलिस अधिकारी इस बात से अच्छी तरह अवगत थे कि उन्हें महज 24 घंटे की हिरासत में भेजा गया है। उन्होंने पूछताछ में बिल्कुल सहयोग नहीं दिया और छिपाने वाले जवाब दिये। पटेल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील बृजनाथसिंह झाला ने कहा कि 24 घंटे की हिरासत मिलने के बावजूद सीबीआई ने महज डेढ़ घंटे पूछताछ की।

पटेल के वकील ने यह भी कहा कि पूछताछ के नाम पर गलत सबूत बनाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने इस बात का उल्लेख किया है कि नाकाबंदी एवं मुठभेड़ में शामिल पुलिस अधिकारियों के कुछ काल डिटेल रिकार्ड :सीडीआर: उपलब्ध हैं जबकि पूर्व में एजेंसी ने कहा था कि सीडीआर हमेशा के लिये खो गयी हैं। बहरहाल, सीबीआई के वकील ने ध्यान दिलाया कि अपराध शाखा द्वारा दर्ज शुरूआती प्राथमिकी में कहा गया था कि सीडीआर स्थायी रूप से खो गयी हैं। लेकिन सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि वाणिज्यिक उद्देश्यों :बिलिंग: के लिए दूरसंचार कंपनी सात साल तक के सीडीआर उपलब्ध करा सकती हैं।

सीबीआई ने शनिवार को विशेष अभियान समूह (एसओजी), गांधीनगर पुलिस निरीक्षक भरत पटेल और मेहसाणा के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक तरूण बारोट को गिरफ्तार किया था। पटेल 2004 में अहमदाबाद की अपराध शाखा में पुलिस सहायक निरीक्षक थे। गुजरात पुलिस ने आरोप लगाया था कि 19 साल की मुंबई की लड़की इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्राणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को मारने की साजिश में शामिल थे। इन लोगों की जान अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच की सड़क पर 15 जून 2004 में हुई मुठभेड़ में गयी थी।

इससे पूर्व सीबीआई ने राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो के पुलिस अधीक्षक गिरीश सिंघल तथा सेवानिवृत्त डीएसपी जे जी परमार को गिरफ्तार किया था। अदालत ने उनकी रिमांड को खारिज करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इशरत की मां द्वारा कथित फर्जी मुठभेड़ की शिकायत किये जाने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने एक विशेष जांच दल गठित किया था एसआईटी की जांच का निष्कर्ष था कि मुठभेड़ फर्जी थी। उच्च न्यायालय ने एक दिसंबर 2011 को यह मामला सीबीआई को सौंप दिया और वह मामले की जांच कर रही है। (एजेंसी)

First Published: Monday, February 25, 2013, 19:48

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