Last Updated: Sunday, September 23, 2012, 12:16
देहरादून : रूद्रप्रयाग के एक अस्पताल में इलाज करा रहे 42 वर्षीय सुखबीर सिंह को अब तेज बारिश और आसमान में बिजली कड़कने की आवाज से भी डर लगने लगा है। उखीमठ क्षेत्र के किमाणा गांव के रहने वाले सिंह अपनी पत्नी और तीन बच्चों के परिवार के साथ रोज की तरह 13 और 14 सितम्बर की दरम्यानी रात को अपने घर में सोए हुए थे कि तभी बिजली कड़कने की तेज आवाज के साथ बादल फटने से पल भर में उनकी दुनिया ही उजड़ गयी।
उस हादसे ने उनकी पत्नी उमेदा देवी (36) और तीन बच्चों शालिनी (14), राखी (12) और शिवम (10) की जान ले ली और उनके घर का कोई नामोनिशान बाकी नहीं रहा। घटना में घायल सिंह ने कहा, जब भी आसमान में बिजली कड़कती है और तेज बारिश होती है, मैं 14 सितम्बर का हादसा याद कर सिहर उठता हूं, जिसने मेरा परिवार तबाह कर दिया। सिंह रूद्रप्रयाग जिले के उखीमठ और जखोली इलाकों के उन लोगों में से एक हैं जिन्हें पिछले सप्ताह बादल फटने की त्रासदी में अपने परिवार के सदस्यों को खोने का गम झेलना पड़ा है।
बादल फटने से 55 लोगों की मौत हुई और 14 अन्य घायल हुए। 16 लोग अभी लापता हैं। उखीमठ के उपजिलाधिकारी रमेशचंद्र तिवारी ने बताया कि करीब 27 परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने बादल फटने की घटना में अपने किसी करीबी को खोया है।
ब्राहमणखोली गांव के 45 वर्षीय दिनेश जमलोकी का हाल भी सिंह से जुदा नहीं है। बादल फटने से जमलोकी की मां सुलोचना देवी (72), पत्नी अंजू देवी (35) और पुत्र पीयूष (11) और आयूष (9) की मौत हो गयी और उनका घर भी तबाह हो गया। चुन्नी गांव का 18 वर्षीय आदित्य और डंगवारी का 17 वर्षीय पवन राणा भी बादल फटने की आपदा में माता पिता और भाई बहनों को खो चुके हैं और भरी दुनिया में अकेले रह गये हैं।
हादसे में जानी नुकसान के साथ ही दर्जनों मकान ध्वस्त हो गये और सड़कों, पुलों, पेयजल योजनाओं और संचार व्यवस्था जैसी सार्वजनिक सुविधाओं को भी भारी नुकसान पहुंचा। रूद्रप्रयाग जिले में बादल फटने से मची तबाही की इस हिमालयी राज्य में यह कोई अकेली या पहली घटना नहीं है। उत्तरकाशी जिले के मनेरी इलाके ने पिछले महीने भारी बारिश के कारण बादल फटने और बाढ़ जैसी स्थिति पैदा होने से 28 लोग मारे गये और 6 अन्य लापता हो गये।
गंगोत्री मंदिर को उत्तरकाशी से जोड़ने वाले कई पुल और क्षेत्र की सड़कें भी घटना में ध्वस्त हो गयी। केवल इस मानसून सत्र में ही भारी बारिश के कारण आयी प्राकृतिक आपदाओं जैसे बादल फटने, भूस्खलन और पहाड़ों से बोल्डर गिरने की विभिन्न घटनाओं में अब तक 132 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और 70 से ज्यादा घायल हैं।
उत्तराखंड आपदा न्यूनीकरण और प्रबंधन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी जिलों के बाद बारिश से सबसे ज्यादा तबाही बागेश्वर, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों में हुई, जहां क्रमश: 11, 10 और 8 लोगों की जान गयी। प्रदेश के आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि इन आपदाओं को न तो रोका जा सकता है और न ही इनका पूर्वानुमान लगाया जा सकता है पर हमें ऐसे उपाय ढ़ूंढने होंगे जिससे इन घटनाओं में होने वाले जानमाल के नुकसान को कम किया जा सके।
इन आपदाओं के आने से पहले ही धन की कमी से जूझ रही राज्य सरकार के लिए प्रभावित इलाकों में मूलभूत सुविधायें उपलब्ध करवाना भी एक बड़ी चुनौती है। बार बार आपदाओं की मार झेल रहे राज्य को पटरी पर वापस लाने के लिये अब केंद्र से मदद की दरकार है। अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय टीम के आने के बाद ही केंद्र से किसी पैकेज की घोषणा संभव हो पायेगी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 23, 2012, 12:16