Last Updated: Tuesday, June 25, 2013, 11:18
जी मीडिया ब्यूरोदेहरादून: उत्तराखंड में एक बाद फिर कुदरत ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है। खबर है कि टिहरी के देवप्रयाग में आज सुबह 6.30 बजे बादल फटा गया है। इससे तीन लोगों के मरने की खबर है। साथ ही इलाके के कई घर ध्वस्त हो गए।
उत्तराखंड के कई स्थानों पर बारिश, भूस्खलन और बादल फटने से बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है और क्षेत्र में फंसे लोगों को निकालने में काफी परेशानी हो रही है। अभी भी 9000 लोग फंसे हैं। कल सिर्फ एक हजार लोगों को निकाला गया था। भारी बारिश के पूर्वानुमान के बीच इस क्षेत्र में फंसे लोगों को बाहर निकालने में तीन दिन और लग सकते हैं। वहीं राज्य सरकार ने अन्य प्रदेशों को एकतरफा ढंग से राहत कार्य करने पर रोक लगा दी है। ताजा बारिश, भूस्खलन और बादल फटने के कारण विभिन्न एजेंसियों को अभियान चलाने में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। बद्रीनाथ में ऊंचाई पर फंसे 5 हजार तीर्थयात्रियों में से केवल 164 को निकाला गया और उन्हें छह सीटों वाले कुछ विमानों की मदद से जोशीमठ पहुंचाया गया।
मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने देहरादून में संवाददाताओं से कहा कि हालांकि, बारिश होने के कारण राहत प्रयास प्रभावित हुए है और चमोली जिले और गंगोत्री घाटी समेत अन्य स्थानों से करीब 1000 तीर्थयात्रियों को ही निकाला जा सका। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ से 164 तीर्थयात्रियों को निकाला गया जबकि हर्सिल, मनेरी और भटवारी से 830 लोगों को निकाला गया। खराब मौसम के कारण लोगों को सुरक्षित निकालने के कार्य में लगे अधिकांश बड़े सैन्य हेलीकाप्टर खड़े कर दिए गए हैं। चमोली जिले में बद्रीनाथ, पंडुकेश्वर और लम्बागर से छोटे हेलीकाप्टर से 164 लोगों को निकाला गया है।
चमोली और पौड़ी जिले से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, उंचाई वाले इलाके में बारिश के कारण हेलीकाप्टर से अभियान में बाधा आई है। राजधानी देहरादून में बारिश हुई है। रुद्रप्रयाग और बद्रीनाथ राजमार्ग पर ताजा भूस्खलन के कारण मार्ग में रुकावट आ गई है। भारी बारिश और भूस्खलन के अलावा पौड़ी के पैथानी कस्बा के मुलान गांव में बादल फटने की खबर मिली है। कई मकान ध्वस्त हो गए हैं लेकिन जानमाल के नुकसान के बारे में अभी तत्काल पता नहीं चल सका है।
देहरादून और अन्य हिस्सों में भारी बारिश के कारण राज्य में चल रहे राहत कार्यों में रुकावट पैदा हुई। सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रया बल (एनडीआरएफ) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के कर्मी पिछले सप्ताह मची तबाही के बाद वहां फंसे लोगों को निकालने में तत्परता से जुटे हुए हैं। गुप्तकाशी, हर्षिल और बद्रीनाथ में भी बारिश होने की जानकारी मिली है। इन जगहों पर अभी भी हजारों की तादाद में लोग फंसे पड़े हैं।
राहत अभियान में जुटे सेना के अधिकारियों ने स्वीकार किया कि बारिश और खराब मौसम ने फंसे हुए लोगों को निकालने के काम को धीमा कर दिया है और मौसम के साफ होने के बाद ही हेलीकॉप्टर उड़ान भर सकेंगे। इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया गया है। सुरक्षित लौट आए लोगों ने बताया कि अभी भी दस हजार से ज्यादा लोग फंसे हुए हैं।
खराब मौसम के कारण लोगों को सुरक्षित लाने के कार्य में लगे अधिकांश बड़े सैन्य हेलीकाप्टर खड़े कर दिए गए हैं। चमोली जिले में बद्रीनाथ, पंडुकेश्वर और लम्बागर से छोटे हेलीकाप्टर से 138 लोगों को निकाला गया है। चमोली और पौड़ी जिले से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, ऊंचाई वाले इलाके में बारिश के कारण हेलीकाप्टर से अभियान में बाधा आई है। राजधानी देहरादून में बारिश हुई है। रूद्रप्रयाग और बद्रीनाथ राजमार्ग पर ताजा भूस्खलन के कारण मार्ग में रूकावट आ गई है।
बारिश और भूस्खलन के अलावा पौड़ी के पैथानी कस्बा के मुलान गांव में बादल फटने की खबर मिली है। कई मकान ध्वस्त हो गए हैं लेकिन जानमाल के नुकसान के बारे में अभी तत्काल पता नहीं चल सका है। कई राज्यों की ओर से बाढ प्रभावित उत्तराखंड में दल भेजने के बीच राज्य सरकार ने सोमवार को निर्णय किया कि किसी दूसरे राज्य को एकतरफा ढंग से बचाव अभियान चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
बद्रीनाथ और इसके आस पास के क्षेत्रों में फंसे श्रद्धालुओं को निकालने के लिए सहस्त्रधारा हेलीपैड से अब तक एक भी हेलीकाप्टर उडान नहीं भर पाया है। गुप्तकाशी और गोचर में भी यही स्थिति है जहां रुक-रुककर हो रही बारिश और पूरे क्षेत्र में धुंध की समस्या बनी हुई है।
दिल्ली में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि मलबा हटाए जाने के बाद बाढ़ प्रभावित उत्तराखंड में मरने वालों की संख्या एक हजार के आंकड़े को पार कर सकती है।
चमोली और पौड़ी जिलों से खबरें हैं कि ऊपरी इलाकों में बारिश से हेलीकाप्टर अभियान पर बुरा असर पड़ा है। राज्य की राजधानी देहरादून में भी बारिश हुई है। बद्रीनाथ राजमार्ग पर फिर से भूस्खलन से रास्ता बंद हो गया है। खराब मौसम से हेलीकाप्टर अभियान प्रभावित होने के बीच राज्य सरकार की केदारनाथ घाटी में अंतिम खोजी अभियान चलाने की योजना में भी बाधा पहुंची है।
हालांकि आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मौसम का आकलन करने के लिए वायुसेना का एक हेलीकाप्टर गोचर से बद्रीनाथ भेजा गया है जिससे बचाव अभियान फिर से शुरू करने की संभावना का पता चले। अभियान में समन्वय प्रयासों का जिक्र करते हुए एनडीएमए सदस्य वीके दुग्गल ने दिल्ली में कहा कि कुछ संचालन संबंधी मुद्दे थे और मैंने इनके बारे में संबंधित अधिकारियों को बताया है। रूद्रप्रयाग के पुलिस अधीक्षक वीरेंद्रजीत सिंह ने कहा कि जिले के कुछ भागों में सड़कों की स्थिति ठीक नहीं हैं। इसलिए मैंने पर्यटकों, अपने रिश्तेदारों को खोज रहे अन्य लोगों के लिए जल्द से जल्द ऋषिकेश जाने का परामर्श जारी किया है।
क्षेत्र में अचानक बाढ़ आने को लेकर बचाव प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा कि करीब आठ हजार लोगों को बचाया गया है। पर्यटकों के लिए पुलिस चौकी से घोषणा की गई कि भारी बारिश हो सकती है और पर्यटकों को यात्रा से बचना चाहिए। पुलिस अधिकारी ने कहा कि मुझे लगता है कि विभाग के सदस्यों ने बड़ा काम किया है और तभी हमने करीब सात-आठ हजार लोगों को बचाया, उन्हें सुरक्षित स्थलों पर ले जाया गया या सुरक्षित स्थलों पर ले जाने की सलाह दी गई।
केदारनाथ घाटी से रविवार को सभी फंसे तीर्थयात्रियों को निकाल लिया गया था। आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य ने कल केदारनाथ घाटी सहित प्रभावित क्षेत्रों में इस आपदा में कम से कम पांच हजार लोगों के मारे जाने की आशंका जताई थी। इस आपदा में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 680 बताई गई हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि मरने वालों की संख्या 1000 हो सकती है। इस बीच, हिमाचल प्रदेश के वर्षा प्रभावित किन्नौर जिले में बंजार शिविर में फंसे 14 अमेरिकी पर्यटकों को निकालकर रामपुर पहुंचाया गया है। 200 पर्यटकों और स्थानीय लोगों को हवाई मार्ग से बचाने का अभियान आज सुबह फिर से शुरू हुआ। उत्तर प्रदेश में भी आज फिर से बारिश हुई जिससे गंगा, घाघरा और शारदा नदियों का जलस्तर बढ़ गया है।
उधर, पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश के बाद आई दैवीय आपदा पीड़ितों के बचाव और राहत कार्यों में सेना और केंद्र सरकार के युद्धस्तर पर जारी अभियान के बीच उत्तराखंड सरकार भी आज हरकत में आ गई है। आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि राहत और बचाव कार्यों के सुचारू संचालन और कार्यान्वयन के लिए तत्काल प्रभाव से पांच वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती करने के साथ ही सुरक्षित बच गए यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए निशुल्क रेल या बस टिकट उपलब्ध कराने के लिए विशेष काउंटर भी खोल दिए हैं।
आईएएस अधिकारी उमाकांत पंवार को आपदा राहत एवं बचाव कार्यों के लिए नोडल अफसर नियुक्त किया गया है और वह वायुमार्ग से संबधित राहत कार्यों पर निगरानी रखेंगे। आईएएस अधिकारी पंकज पांडे को चमोली जिले के बद्रीनाथ में, रविनाथ रमन को रूद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी में, सचिन कुर्वे को उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री इलाके में और रंजीत सिन्हा को हरिद्वार में राहत एवं बचाव कार्यों के लिये नोडल अधिकारी बनाया गया है। ये सभी अधिकारी राहत एवं बचाव कार्यों में समन्वय करने के साथ ही फंसे पर्यटकों और श्रद्धालुओं को उनके गंतव्य तक पहुंचाने और उनके चिकित्सीय एवं वाहन सुविधा देने में भी सहयोग करेंगे।
वहीं, राज्य सरकार की ओर आपदा से पीड़ित श्रद्धालुओं को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए 2000 रुपये की धनराशि उपलब्ध कराए जाने के साथ ही निशुल्क रेल या बस टिकट दिया जा रहा है। देहरादून और हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर इसके लिये विशेष काउंटर बनाए गए हैं।
First Published: Tuesday, June 25, 2013, 09:47