Last Updated: Tuesday, June 25, 2013, 18:50
ज़ी मीडिया ब्यूरो गोचर (उत्तराखंड) : उत्तराखंड के तीर्थस्थल केदारनाथ में `जलप्रलय` व भीषण आपदा का शिकार हुए लोगों के सामूहिक अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वायुसेना ने केदारनाथ के दुर्गम इलाके में अपना पहला बड़ा हेलीकॉप्टर भेजकर मृतकों के अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक सामान गिराने के साथ ही कुछ शवों को भी वहां से उठाया।
विमान चालकों ने एक ऐसी रोलर स्केट्स प्रणाली तैयार की है, जिसकी मदद से आग के लिए भारी लकड़ियों और अन्य सामान को 15 से 20 मीटर से ऊंचाई से गिराया जा सकेगा जबकि एमआई 17 हेलीकॉप्टर हवा में ही रहेगा।
विंग कमांडर फेलिक्स पिंटो ने यहां हेलीपैड में कहा कि हमने आज सुबह केदारनाथ ले जाए गए पहले हेलीकॉप्टर से सामान गिराया। वापस आते समय हेलीकॉप्टर की मदद से कुछ लोगों को बाहर भी निकाला गया। वायुसेना की केदारनाथ में अंतिम संस्कार के लिए करीब दो टन सामग्री के साथ दो या तीन और हेलीकॉप्टरों को भेजने की योजना है ताकि राज्य सरकार शवों का अंतिम संस्कार शुरू कर सके।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट डीएस राठौर ने कहा कि केदारनाथ में मौसम बहुत अच्छा नहीं है, लेकिन फिर भी वायुसेना इलाके में कार्य करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है और हवाई मदद मुहैया करा रही है।
गौर हो कि बाढ़ से तबाह हो चुके केदारनाथ से मंगलवार को करीब 125 शव निकाले गए तथा मलबे में कहीं अधिक लोगों के दबे होने की आशंका है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष एम. शशिधर रेड्डी ने यह जानकारी दी। रेड्डी ने बताया कि एनडीएमए अब तक 6,000 लोगों को सुरक्षित निकाल चुका है, जिसमें सुखी टोप इलाके से बचाए गए 120 लोग भी शामिल हैं।
रेड्डी ने बताया कि कैबिनेट सचिव अजित कुमार सेठ की अध्यक्षता में मंगलवार को उत्तराखंड के हालात पर विमर्श के लिए एक बैठक की गई जिसमें एनडीएमए से पूछा गया कि क्या राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) मलबे में फंसे लोगों का पता लगा सकती है। रेड्डी ने कहा कि हमारे पास ऐसे उपकरण हैं जो जीवित लोगों का उनके दिल की धड़कनों की सहायता से पता लगा सकते हैं। हम मर चुके लोगों का पता नहीं लगा सकते।
First Published: Tuesday, June 25, 2013, 18:50