Last Updated: Thursday, June 27, 2013, 22:51

गुप्तकाशी/गौचर (उत्तराखंड) : उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर चल रहा राहत और बचाव अभियान अब पूरा होने के करीब पहुंच गया है। हालांकि, बद्रीनाथ और हर्षिल में करीब 2,500 लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाना बाकी है। लापता बताए जा रहे 3,000 लोगों को लेकर चिंताएं भी काफी बढ़ गई हैं।
केदारनाथ में महामारी फैलने की आशंका से अब पूरा ध्यान मलबे में दबे शवों को बाहर निकालने और बरामद किए जा चुके शवों के सामूहिक दाह-संस्कार पर दिया जा रहा है। उत्तराखंड त्रासदी में सबसे ज्यादा केदारनाथ ही प्रभावित हुआ है।
उत्तराखंड सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि रुक-रककर हो रही बारिश की वजह से थलसेना, वायुसेना, आईटीबीपी, एनडीएमए और एनडीआरएफ की ओर से संचालित किया जा रहा राहत और बचाव अभियान थोड़ी बाधा के बावजूद पूरे दिन जारी रहा। बद्रीनाथ से 1,000 से ज्यादा जबकि हर्षिल से 511 फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। खराब मौसम की वजह से दिन में कभी-कभी हेलीकॉप्टरों की उड़ान रोकनी पड़ी।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी ने बताया कि अब तक कुल 1,04,095 लोगों को बचाकर बाहर निकाला जा चुका है। सामूहिक दाह-संस्कार की निगरानी कर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रविनाथ रमण के मुताबिक गुरुवार को दूसरे राउंड में 16 और शवों का अंतिम संस्कार किया गया। कल 18 शवों का अंतिम-संस्कार किया गया था। मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने कहा कि शवों की पहचान और उनके डीएनए नमूने लेने के बाद सभी औपचारिकताएं पूरी कर और शवों का अंतिम-संस्कार किया जाएगा। कुमार ने कहा कि डॉक्टरों, फोरेंसिक विशेषज्ञों और पुलिसकर्मियों की एक दूसरी टीम औपचारिकताएं पूरी करने के लिए केदारनाथ रवाना हो गई हैं।
आईटीबीपी के महानिदेशक अजय चड्ढा ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि करीब 2,500 लोग अब भी बाहर निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं पर केदारनाथ में बचाव अभियान पूरा किया जा चुका है। चड्ढा ने कहा कि आईटीबीपी अभी तक करीब 31 हजार लोगों को निकाल चुका है जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) ने करीब 6640 लोगों को बचाया है। उन्होंने कहा कि दो हजार से ढाई हजार लोग हर्षिल से निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं जबकि हमने 500 लोगों को निकाला है। उन्होंने बताया कि 560 लोग पैदल ही हनुमान चट्टी पहुंचे हैं। चड्ढा ने कहा कि लंबागढ़ और हनुमान चट्टी के बीच कहीं पर स्थित एक पैदल पुल पानी के तेज प्रवाह से टेढ़ा हो गया है और वे उसकी मरम्मत करने का प्रयास कर रहे हैं। हमने लोगों को नदी पार करने में मदद के लिए एक रस्सी का पुल बनाया है।
सेंट्रल कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चैत ने भरोसा जताया कि ‘ऑपरेशन सूर्य होप’ अगले कुछ दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। रेड्डी ने उम्मीद जतायी कि कल तक बचाव अभियान पूरा हो जाएगा जबकि सुभाष कुमार ने कहा कि कल के बाद भी अभियान जारी रहेगा। देहरादून में एक संवाददाता सम्मेलन में कुमार ने कहा कि करीब 3,000 श्रद्धालु अब भी लापता हैं।
डीआईजी संजय गुंजयाल ने कहा कि बचाव अभियान और सामूहिक दाह-संस्कार प्रक्रिया मौसम खराब होने की वजह से प्रभावित हुई थी और पीड़ितों के दाह-संस्कार की औपचारिकताएं पूरी करने में भी वक्त लग रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने केदारनाथ के आसपास के इलाके के लोगों को चेतावनी दी है कि वे नदी के पानी का सेवन न करें क्योंकि यह बहुत अधिक प्रदूषित हो सकता है। केदारनाथ मंदिर से सटे इलाकों में सड़ रहे शवों की बदबू आ रही है जिससे विभाग ने कई तरह की बीमारियां फैलने की आशंका जाहिर की है।
गुप्तकाशी में बचाव अभियान के नोडल अधिकारी रविकांत रमण ने कहा कि हम अब बरामद किए गए शवों का तेजी से दाह संस्कार कर रहे हैं। पर त्रासदी के स्तर और इसकी प्रकृति को देखते हुए इस बात की संभावना है कि ऐसी खुली जगहों में भी कुछ शव पड़े हुए हों जहां बचावकर्मी पहुंचने में सफल न हुए हों या उन्हें देख न सके हों। रेड्डी ने कहा कि त्रासदी में 560 लोग मारे गए हैं, 476 जख्मी हुए हैं और करीब 344 लोग अब भी लापता हैं। रेड्डी के आंकड़े उन सरकारी आंकड़ों से कम हैं जिनमें बताया गया है कि अब तक 822 लोग मारे जा चुके हैं।
इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से जल, खाद्य-पदार्थ या वायु जनित बीमारी फैलने की सूचना नहीं है। जन स्वास्थ्य स्थितियों की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय कमेटी राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ देहरादून में है। कमेटी कल रवाना हुई थी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 27, 2013, 22:01