Last Updated: Monday, July 1, 2013, 10:01

देहरादून : उत्तराखंड में आई बाढ़ को लेकर आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर तेज हो गया, जिसमें मौसम विभाग ने कहा कि उसने ‘समय रहते ही’ भारी वर्षा और भूस्खलन की चेतावनी जारी कर दी थी जबकि राज्य सरकार ने कहा कि वे ‘विशिष्ट’ नहीं थीं।
उत्तराखंड में भारी वर्षा के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन के दो हफ्ते बाद मौसम विभाग और राज्य के ये विरोधाभासी दावे सामने आए हैं। इस बीच ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन ने चेतावनियों को अनदेखा किया और क्या पर्वतीय राज्य में बड़ी संख्या में लोगों की मौत को रोका जा सकता था। राज्य सरकार ने दावा कि ‘इतने बड़े पैमाने पर संकट’ का कोई पर्याप्त पूर्व संकेत नहीं था।
उत्तराखंड के मौसम विभाग के निदेशक आनन्द शर्मा ने कहा कि उन्होंने 14 जून से ही अगले कुछ दिनों के लिए परामर्श जारी कर दिए थे। साथ ही यह सुझाव भी दिया गया था कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की चारधाम यात्रा को चार-पांच दिनों के लिए स्थगित कर दिया जाए।
उन्होंने कहा कि 14 से हमने भारी वर्षा की चेतावनी देना शुरू कर दिया था। 15 के लिए हमने काफी भारी वर्षा की चेतावनी जारी की थी। हमने यह भी कहा था कि आप यात्रा को 4.5 दिन के लिए स्थगित कर सकते हैं। 16 जून को हमने कहा कि भारी से बेहद भारी वष्रा होगी और हमने क्षेत्रों को विशेष तौर पर उजागर किया था। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 1, 2013, 10:01