Last Updated: Tuesday, November 8, 2011, 08:55
नई दिल्ली : उल्फा कमांडर परेश बरुआ ने केन्द्र सरकार के साथ वार्ता कर रहे राजनीतिक प्रकोष्ठ को भंग कर दिया है और उल्फा से कई नेताओं की छुट्टी कर दी है। सूत्रों के अनुसार वार्ता विरोधी गुट का मानना है कि अब उल्फा पूरी तरह सैन्य नियंत्रण वाला संगठन होगा, जिसके नेता बरुआ हैं। बरुआ की अध्यक्षता में एक केन्द्रीय कमांड मुख्यालय भी बनाया गया है।
सूत्रों ने बताया कि संगठन में किए गए उलटफेर में जीबन मोरान बरुआ उल्फा के वार्ता विरोधी गुट में सबसे शक्तिशाली नेता होगा और उसे उप कमांडर बनाया गया है। उसने राजू बरुआ की जगह ली है, जो अरविन्द राजखोवा गुट का प्रमुख सदस्य था। बताया जाता है कि मोरान उल्फा का म्यांमार में संचालक है। सूत्रों का मानना है कि बिजय दास सैन्य कमांडर के रूप में काम करेगा जबकि नयन मेधी बिजय दास के तहत उप कमांडर के रूप में काम करेगा। प्रनमय असम कथित रूप से विदेश सचिव बनाया गया है जबकि दृष्टि राजखोवा को वित्त सचिव नियुक्त किया गया है।
अरुणादय दोहोतिया को केन्द्रीय प्रचार सचिव और पार्था गोगोई को सांस्कृतिक सचिव बनाया गया है। माइकल डेकाफुकन सांगठनिक सचिव होंगे। प्रनमय असम ने ससधर चौधरी की जगह ली है, जो अब राजखोवा गुट के साथ हैं। दृष्टि राजखोवा ने चित्रबन हजारिका का स्थान लिया है, जो वार्ता समर्थक गुट के प्रमुख नेता हैं।
माना जाता है कि इससे पहले बरुआ ने अपनी बटालियनों का भी पुनर्गठन किया है। बांग्लादेश में पहली बटालियन, म्यांमार में दूसरी और असम में तीसरी बटालियन है। उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के प्रमुख अरविन्द राजखोवा ने भी उल्फा के संविधान में संशोधन करते हुए नई कमेटी का गठन किया है। इसे सेंट्रल एवं नव निर्माण केन्द्र स्टीयरिंग कमेटी नाम दिया गया है जो शांति प्रक्रिया पर पैनी नजर रखेगी और उल्फा की महासभा को उसकी जानकारी देगी।
बताया जाता है कि बरूआ ने संगठन के सभी सदस्यों को अपात्र घोषित कर दिया है, जिसमें केन्द्र से वार्ता कर रहे राजखोवा शामिल हैं। उल्फा की मुख्य मांग संप्रभु असम की थी लेकिन सितंबर में वार्ता समर्थक गुट ने इस मांग को छोड़ दिया और केन्द्र को अपना नया मांगपत्र सौंपा। गठन के समय से ही उल्फा के राजनीतिक और सैन्य प्रकोष्ठ होते थे, जिनके प्रमुख क्रमश: राजखोवा और बरुआ रहे।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 8, 2011, 16:43