Last Updated: Wednesday, November 23, 2011, 15:07
नई दिल्ली : विवादास्पद सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों से हटाने के अंतिम निर्णय को लेकर बहस और तेज हो गई है। विधि मंत्रालय ने कहा है कि राज्यपाल राज्य सरकार की सिफारिशों को खारिज कर सकते हैं।
अपने रुख में बदलाव करते हुए विधि मंत्रालय ने केंद्र सरकार से कहा है कि राज्यपाल एनएन वोहरा को सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून निरस्त करने के उमर अब्दुल्ला के किसी भी फैसले को खारिज करने का अधिकार प्राप्त है।
विधि मंत्रालय का रुख एटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती के विधिक मत पर आधारित है। समझा जाता है कि वाहनवती ने कहा है कि राज्यपाल एएफएसपीए की धारा तीन के अनुरूप विशेषाधिकार रखते हैं और उन्हें संसद की इच्छा को ध्यान में रखने का अधिकार प्राप्त है।
आधिकारिक सूत्रों ने बुद्धवार को बताया कि 18 नवंबर को विधि मंत्रालय का नजरिया तब सामने आया था जब केंद्रीय गृह मंत्रालय उसके पूर्व के विचारों से संतुष्ट नहीं था। माना जाता है कि पूर्व में विधि मंत्रालय ने कहा था कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर काम करना होगा। समझा जाता है कि गृह मंत्रालय ने विधि मंत्रालय से कहा कि वह सरकार के किसी शीर्ष विधिक अधिकारी से नए सिरे से सलाह लें।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 23, 2011, 22:43