किशनजी की मौत के पीछे गिरफ्तार शख्स - Zee News हिंदी

किशनजी की मौत के पीछे गिरफ्तार शख्स

कोलकाता : संयुक्त बलों द्वारा 20 दिन पहले एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के चलते शीर्ष माओवादी नेता किशनजी को मार पाना संभव हो पाया। उग्रवाद विरोधी बल के पुलिस अधीक्षक मनोज वर्मा ने यह जानकारी देते हुए कहा, ‘हमें गिरफ्तार व्यक्ति से जानकारी मिली कि किशनजी, सुचित्रा और कुछ अन्य माओवादी नेता जंगलमहल में मौजूद हैं।’

 

उन्होंने कहा, ‘23 नवंबर को पांच लोगों को कुशबनी जंगल से गिरफ्तार किया गया था। उनसे पूछताछ के बाद हम इलाके में किशनजी की मौजूदगी के प्रति आश्वस्त हो गए। धर्मेन्द्र महतो के घर से मिले दस्तावेज भी इस ओर इशारा कर रहे थे।’ वर्मा ने कहा, ‘जब अभियान की योजना बनाई गई, ग्रामीणों ने काफी महत्वपूर्ण सूचनाएं दी।’ उन्होंने कहा, ‘पुराने अनुभव से हम जानते थे कि भागते समय माओवादी झारखंड का रास्ता पकड़ते हैं और इसलिए हमने इस बार झारखंड के बार्डर को सबसे पहले सील किया।’

 

वर्मा ने बताया, ‘कॉम्बेट बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन (कोबरा) की दो और सीआरपीएफ की दो कंपनियों को पश्चिमी मिदनापुर के पुलिस अधीक्षक प्रवीण त्रिपाठी के नेतृत्व में अंतिम हमले के लिए तैनात किया गया।’ उन्होंने कहा, ‘यह हाल के वर्षों में सर्वाधिक योजनाबद्ध अभियान था और पूरी तरह मानवीय बुद्धिमत्ता पर आधारित था। पूरे अभियान के दौरान कोई तकनीकी सहयोग नहीं लिया गया।’

 

वर्मा ने कहा, ‘हालांकि जब 23 नवंबर को हमने घेराबंदी शुरू की तो किशनजी भाग निकले। लेकिन हम जानते थे कि वह ज्यादा दूर नहीं जा सकते क्योंकि झारखंड सीमा को सील कर दिया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘जब मुठभेड़ शुरू हुई, किशनजी सामने खड़े हो गए और उन्होंने लगभग 30 गोलियां चलाई जिसमें सीआरपीएफ का एक सहायक कमांडेंट घायल हो गया।’

 

पुलिस अधीक्षक ने कहा, ‘वह सामने से गोलियां चला रहे थे ताकि अन्य लोग भाग जाएं। हमारे जवानों ने किशनजी और सुचित्रा से आत्मसमर्पण करने को कहा। लेकिन उन्होंने गोली चलाना जारी रखा और मारे गये।’ सुचित्रा और अन्य लोगों के भाग निकलने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि उन्हें पकड़ने के लिए खोजबीन जारी है। फर्जी मुठभेड़ में किशनजी को मार दिये जाने संबंधी आरोप के बारे में वर्मा ने कहा, ‘मानवाधिकार संगठन उस समय हंगामा कर देते हैं जब उमाकांत महतो, सिद्धू सोरेन और लालमोहन टुडु की मौत होती है लेकिन वे तब चुप रहते हैं जब हमारे जवान सर्वोच्च बलिदान देते हैं।’ (एजेंसी)

First Published: Friday, November 25, 2011, 23:08

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