Last Updated: Wednesday, October 24, 2012, 20:50
शिमला: कुल्लू के ढालपुर मैदान में भगवान रघुनाथजी की पारंपरिक यात्रा की शुरूआत के साथ सप्ताह भर चलने वाला कुल्लू दशहरा शुरू हो गया।
कुल्लू दशहरा देश के अन्य भागों में मनाये जाने वाले उत्सव से अलग तरह का होता है क्योंकि यहां रावण या कुंभकरण का पुतला दहन नहीं किया जाता।
यह उत्सव ‘विजय दशमी’ से शुरू होता है और 250 से अधिक स्थानीय देवी देवता घाटी में एकत्र होते हैं और ढालपुर के मैदान में एक हफ्ते तक मिलकर भगवान रघुनाथ जी की अर्चना करते हैं। रघुनाथ जी इन सभी देवताओं के मुख्य देवता हैं।
कुल्लू दशहरा के अवसर पर समूची घाटी के लोग एक हफ्ते के लिए धार्मिक समारोह में लीन हो जाते हैं और कुल्लू के राजा समारोह के दौरान आकषर्ण का मुख्य केंद्र होते हैं। हालांकि, चुनाव आयोग ने धार्मिक उत्सव स्थलों पर सभी तरह की राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। गौरतलब है कि कुल्लू दशहरा 1637 ई. से मनाया जाता है, जब राजा जगत सिंह घाटी के शासक हुआ करते थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 24, 2012, 20:50