Last Updated: Thursday, September 5, 2013, 09:06
पटना : निर्धन छात्रों को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चर्चित संस्थान सुपर 30 के संस्थापक और गणितज्ञ आनंद कुमार ने कहा कि शिक्षक दिवस शिक्षकों को सम्मान देने की रस्म अदायगी बनकर रह गया है।
कभी गौरव का विषय माना जाने वाला शिक्षक का पेशा अब खुद शिक्षकों के लिए बोझ बन गया है। उन्होंने पटना में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि देश में शिक्षकों की भारी कमी ने भारत के भविष्य निर्माण पर प्रश्नचिह्न् लगा दिया है। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों के लाखों पद खाली हैं। उन्होंने कहा कि आज नीति निर्धारकों को इस सवाल पर मंथन करने की जरूरत है कि आखिर शिक्षकों की कमी क्यों हो रही है।
उन्होंने कहा कि आज पैकेज डील करने के इस दौर में जहां इंजीनियर, डाक्टरों को लाखों रुपये मिलते हैं वहीं शिक्षकों की झोली में मुश्किल से कुछ पैसा आता है। वे कहते हैं कि आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर प्रदेश में तीन लाख, बिहार में 2.60 लाख, पश्चिम बंगाल में एक लाख स्कूली शिक्षकों की कमी है। कुमार ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या हमारे देश में वैसे शिक्षक हैं, जिनके सान्निध्य में सी़ वी़ रमण, होमी जहांगीर भाभा जैसे विद्वान पैदा हुए, डॉ़ राजेन्द्र प्रसाद के ज्ञान को निखारा। उन्होंने कहा कि इनके शिक्षक न इंजीनियर थे और न डॉक्टर थे।
उन्होंने कहा कि आज शिक्षकों के सम्मान में भी गिरावट आया है, सिनेमा और धारावाहिकों में शिक्षकों को कॉमेडी सीन के लिए रखा जाता है। शिक्षकों पर भी सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि आज कई शिक्षक भी कोचिंग की दुनिया में पैसा कमाने की होड़ में लगातार मूल्यों को गंवा रहे हैं, परंतु इनकी संख्या काफी कम है। उन्होंने कहा कि आज शिक्षकों को रोल मॉडल बनने की जरूरत है। उन्होंने सरकार से भी अनुरोध किया कि छात्रों के पाठ्यक्रम में ईमानदार शिक्षकों की जीवनी शामिल किए जाएं। आज जरूरत सभी को मिलकर प्रयास करने की है कि देश में शिक्षा के प्रति समर्पण बढ़े और शिक्षक के प्रति सम्मान बढ़े तभी भारत के भविष्य निर्माण को अमली जामा पहनाया जा सकेगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 5, 2013, 09:06