Last Updated: Monday, August 19, 2013, 14:53

नई दिल्ली : गोरखालैंड मुद्दे को समझने की ममता बनर्जी की क्षमता पर सवाल उठाते हुए माकपा ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री जिस तरह से इस मुद्दे से निपट रही है, वह ‘आग से खेल’ रही हैं और दावा किया कि वह राज्य के समस्याग्रस्त क्षेत्र की जमीनी हकीकत को समझने में असमर्थ हैं।
माकपा पोलित ब्यूरो के सदस्य और पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता सूर्य कांत मिश्रा ने कहा कि ऐसा लगता है कि वह जंगलमहल और पर्वतीय क्षेत्रों (उत्तरी बंगाल) के बीच अंतर और जमीनी हकीकत को समझने में असमर्थ हैं।
जंगलमहल में आर्थिक पैकेज और आधारभूत संरचना का विकास कुछ बदलाव ला सकता है लेकिन दार्जिलिंग में सम्पूर्ण मुद्दे के संदर्भ में जातीय आयाम को ध्यान में रखना होगा। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री इससे अनजान हैं। वह आग से खेल रही हैं। हम केवल उम्मीद कर सकते हैं कि उनके हाथ नहीं जले।
उन्होंने आरोप लगाया कि ममता तुच्छ राजनीतिक फायदे के लिए पहले गोरखा मुक्ति मोर्चा (जीजेएम) को सिर माथे बिठाती हैं और फिर 2011 में त्रिपक्षीय समझौता करती है और जब जीजेएम तेलंगाना के बाद अपनी मांग पर जोर देते हैं तब वह (ममता) जीजेएम के खिलाफ आक्रामक हो जाती हैं।
मिश्रा ने कहा कि इस तरह से रुख में बदलाव से कोई मदद नहीं मिलेगी। मुख्यमंत्री को बातचीत का मार्ग कभी बंद नहीं करना चाहिए। आप अचानक बातचीत नहीं बंद कर सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, August 19, 2013, 14:53