Last Updated: Thursday, January 12, 2012, 11:28
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ बहुजन समाज पार्टी ने मुख्यमंत्री मायावती और पार्टी चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियों को ढकने के लिए चुनाव आयोग के आदेश को एकतरफा बताते हुए इसे संविधान के अनुच्छेद 14 में प्रदत्त नैसर्गिक न्याय का खुला उल्लंघन करार दिया है। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने निर्वाचन आयोग को भेजे अपने पत्र में कहा है कि आयोग के एकतरफा और भेदभावपूर्ण आदेश से दलित समाज तथा पिछड़ा वर्ग के लोग ठगा सा महसूस कर रहे है।
उन्होंने कहा कि आयोग के इस आदेश के विरोध में भारी संख्या में लोग सड़कों पर उतरना चाहते हैं, लेकिन बसपा सुप्रीमो ने सख्त निर्देश दिये है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था को सुचारु बनाये रखा जाये ताकि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार का अवरोध न पैदा हो।
मिश्र ने कहा है कि चुनाव आयोग ने विभिन्न पार्टियों खासतौर से कांग्रेस, भाजपा, सपा व राष्ट्रीय लोकदल द्वारा दिये गये ज्ञापन को स्वीकार करते हुए प्रतिमाओं और हाथी की मूर्तियों को ढकने के जो आदेश दिये है वह न्याय संगत नहीं है, क्योंकि यह आदेश एकतरफा है।
मिश्र ने कहा कि उनकी पार्टी आयोग से यह अपेक्षा करती है कि वह विधानसभा चुनाव को पूरी तरह निष्पक्ष रुप से सम्पन्न करायेगी, लेकिन आयोग ने बहुजन समाज पार्टी की स्थापित मूर्तियों एवं हाथियों को ढके जाने के बारे जो निर्णय लिया है। इससे बसपा को हतोत्साहित करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि पार्कों, स्मारकों एवं सग्रहालयों आदि में जो हाथी की मूर्तियां स्थापित की गयी है वे स्वागत की मुद्रा में है, जबकि बसपा के चुनाव चिन्ह के हाथी की सूड नीचे है। इससे किसी भी दशा में चुनाव आचार संहिता का भी उल्लंघन नहीं होता है।
राष्ट्रीय महासचिव ने स्पष्ट किया कि हाथी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है तथा पुराण, धार्मिक परम्पराओं और इतिहास में भी हाथी की विशेष महत्ता है। हाथी की प्रतिमाएं सिर्फ स्मारकों में ही नहीं, बल्कि प्रदेश व देश के कोने कोने मे स्थित मंदिरों तथा सरकारी भवनों में भी स्थापित है। यहां तक कि हाथी की मूर्तियां राष्ट्रपति भवन, नार्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक के साथ साथ लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के उपर भी लगी हुई है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, January 12, 2012, 20:55