Last Updated: Saturday, June 8, 2013, 19:40
ज़ी मीडिया ब्यूरोरायपुर : छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले से सहानुभूति के सहारे सत्ता में वापसी की राह देख रही कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह की राज्य में तेजी से बढ़ती भूमिका का प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी द्वारा विरोध किए जाने के साथ ही घमासान शुरू हो गया है। राज्य में पार्टी में लम्बे समय से चल रही गुटबाजी नक्सली हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नन्द कुमार पटेल के मारे जाने और उनके स्थान पर केन्द्रीय राज्यमंत्री डॉ. चरणदास महंत को कार्यकारी अध्यक्ष एवं भूपेश बघेल को कार्यक्रम समन्वयक बनाए जाने के साथ ही और तेज हो गई है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार महंत की नियुक्ति दिग्विजय सिंह तथा बघेल की नियुक्ति पार्टी कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा के प्रयासों से हुई है। महंत एवं बघेल के अलावा विपक्ष के नेता रविन्द्र चौबे तीनों ही अविभाजित मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह के मंत्रिमंडल के सदस्य थे और छत्तीसगढ़ के गठन के बाद भी उनसे जुड़े रहे। पार्टी में तीनों अहम पदों पर इस समय जोगी विरोधियों का कब्जा हो गया है जिसको जोगी गुट खुद को किनारे करने की रणनीति के रूप में देख रहा है।
नक्सली हमले में मारे गए नेताओं और कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि देने के लिए दिग्विजय सिंह ने राज्य का चार दिवसीय दौरा किया। इस दौरे में श्रद्धांजलि के साथ ही दिग्गी ने जिस तरह से जोगी विरोधियों से चुन-चुनकर मुलाकातें की उसकी प्रतिक्रिया जोगी ने दिग्विजय सिंह के सार्वजनिक विरोध के रूप में सामने आई। जोगी ने दिग्गी की मौजूदगी में उनके गृह नगर राघोगढ़ का नाम लिए बगैर उसे इंगित करते हुए कहा, `भूल जाओ, भले कोई भी बुरा माने लेकिन मैं साफ कह देना चाहता हूं कि प्रतापगढ़, फतेहगढ़ या किसी और गढ़ से आकर कोई नेता छत्तीसगढ़ को नहीं जगा सकता।`
जोगी की इस टिप्पणी की गूंज दिल्ली के कांग्रेसी गलियारों तक सुनाई पड़ी। कार्यकारी अध्यक्ष महंत ने दिल्ली में इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की। महंत ने मुलाकात के बाद जोगी के कथन पर यह कह कर पर्दा डालने की कोशिश की कि उनकी टिप्पणी दिग्विजय सिंह की बजाए डॉ. रमन सिंह पर थी जिनका उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ से जुड़ाव है। जोगी फिलहाल खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं पर राजनीतिक जानकारों का मानना है कि वह चुप नहीं बैठने वाले हैं। उन्होंने इस बारे में अपनी रणनीति पर काम भी शुरू कर दिया है।
जोगी की राजनीति का मुख्य आधार सामाजिक समीकरणों का रहा है और इसी के सहारे अपनी रणनीति को आगे बढ़ाने की उनकी योजना है। दरअसल राज्य में कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक आदिवासी, दलित एवं अल्पसंख्यक वर्ग रहा है। पिछले 10 साल में यह वोट बैंक उससे दूर होता गया है। राज्य में 2003 में पहले विधानसभा चुनाव में दलितों के लिए आरक्षित केवल एक सीट को छोड़कर शेष सभी पर कांग्रेस ने कब्जा किया था वहीं 2008 में केवल एक आरक्षित सीट पर उसका उम्मीदवार जीत सका।
First Published: Saturday, June 8, 2013, 19:40