Last Updated: Friday, February 24, 2012, 08:50
लखनऊ : कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश के चुनावी महासमर के बाद अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के नेता जयंत चौधरी को मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात को गलत संदर्भ में समझी गई टिप्पणी करार देते हुए कहा कि मात्र 46 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी रालोद के नेता को सरकार के शीर्ष पद पर आखिर कैसे बैठाया जा सकता है।
कांग्रेस नेता परवेज हाशमी की हाल में बुलंदशहर में चुनाव के बाद सत्ता में आने पर सहयोगी दल रालोद के नेता जयंत को मुख्यमंत्री बनाने की टिप्पणी के बारे में सिंह ने ‘भाषा’ से साक्षात्कार में कहा कि हाशमी की बात को गलत संदर्भ में लिया गया है।
उन्होंने कहा कि रालोद राज्य की 403 में से सिर्फ 46 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस आधार पर कोई कैसे मुख्यमंत्री बन सकता है। मैं नहीं समझता कि जयंत मुख्यमंत्री बन सकते हैं। सिंह ने कहा कि मैं पहले से ही कह रहा हूं कि रालोद का कांग्रेस में विलय कर देना चाहिये था। अगर ऐसा होता तो सरकार बनाने की स्थिति में जरूरत पड़ने पर विधायक दल जयंत को मुख्यमंत्री बनाने पर विचार करता। चुनाव के बाद कांग्रेस के सत्ता में आने का विश्वास व्यक्त करते हुए सिंह ने दोहराया कि हम सरकार बनाने जा रहे हैं।
अगर इसके लिए जरूरी बहुमत नहीं मिला तो सरकार के गठन के लिए न तो किसी का समर्थन लेंगे और न ही देंगे। उस स्थिति में हम विपक्ष में बैठेंगे। सिंह ने माना कि केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने मुसलमानों को नौ प्रतिशत आरक्षण देने की बात पार्टी का चुनाव घोषणापत्र जारी होने से पहले कही थी। हालांकि उन्होंने कहा कि कुछ बातें भावनाओं में बहकर हो जाती हैं और उन्हें उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
कांग्रेस नेता ने खुर्शीद द्वारा बटला हाउस कांड पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आंसू निकल आने तथा आरक्षण के मुद्दे को उछाले जाने का पार्टी पर बुरा असर पड़ने सम्बन्धी एक सवाल पर कहा कि दरअसल यह विचारधारा की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि बटला हाउस और आरक्षण की बात कहकर हमने सचाई बयान की है। अगर चुनावी स्तर पर इसकी प्रतिक्रिया होती है तो हमें उसकी कोई परवाह भी नहीं है। सिंह ने मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया बटला हाउस पर बयान, मुस्लिम आरक्षण विवाद तथा केंद्रीय मंत्रियों के बयानों को तो ज्यादा तूल देता है लेकिन जब आडवाणी मालेगांव बमकांड के आरोपियों साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को छुड़ाने के लिए प्रधानमंत्री से मिलने गए थे तो उसे मुद्दा नहीं बनाया गया।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 24, 2012, 14:20