Last Updated: Thursday, November 17, 2011, 10:54
चंडीगढ़ : भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि उचित विचार-विमर्श के बाद ही नए राज्यों के गठन के बारे में फैसला किया जाना चाहिए और इसमें कोई जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। आडवाणी ने उत्तर प्रदेश को चार राज्यों में बांटने के मायावती सरकार के प्रस्ताव पर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई।
आडवाणी ने उत्तराखंड रवाना होने से पहले यहां कहा, ‘उनके (मायावती के) प्रस्ताव पर मैं हां या ना नहीं कहूंगा। इस मुद्दे पर अच्छी तरह से सोच-विचार और चर्चा की जानी चाहिए। मैं इस बारे में कोई कयास नहीं लगाऊंगा कि इस प्रस्ताव के पीछे उनका क्या विचार है। नए राज्य का गठन जल्दबाजी में नहीं हो सकता।’ उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने प्रस्ताव रखा है कि राज्य को चार हिस्सों में बांटकर पूर्वांचल, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश और पश्चिम प्रदेश का गठन किया जाए।
आडवाणी ने कहा कि मुझे लगा कि नए राज्यों के गठन की मांग जायज है क्योंकि जिन तीन राज्यों का भाषाई आधार पर गठन किया गया, उनका क्षेत्र काफी बड़ा था। जब मैं गृह मंत्री था तब इन तीन राज्यों का गठन हुआ। हमने बिना किसी दिक्कत के नए राज्य बनाए। आडवाणी ने कहा कि अभी के हालात में इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करने के बाद ही उत्तर प्रदेश का विभाजन होना चाहिए।
आडवाणी ने उम्मीद जताई कि विदेशों में जमा कालेधन का मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र में प्रमुखता से उठेगा। प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और गृह मंत्री सहित सरकार के विभिन्न मंत्री समय-समय पर कहते आए हैं कि कालेधन के मुद्दे पर हमारी अन्य देशों के साथ बातचीत जारी है। उन्होंने कहा, ‘क्या हो रहा है, इस बारे में संसद अब तक अवगत नहीं है।’
पंजाब में सत्तारुढ़ शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के गठबंधन तथा विपक्षी दल कांग्रेस की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘मैं किसी के बारे में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। असंसदीय भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।’ भारत से सटी सीमा पर चीन की निर्माण गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रतिनिधिमंडल के दौरे के बाद रक्षा मंत्री ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर की थी। रक्षा मंत्री ने कहा है कि भारत प्रभावी कदम उठाएगा। हम यह देखेंगे कि सरकार असल में क्या करती है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, November 17, 2011, 16:24