Last Updated: Tuesday, February 12, 2013, 21:51
अहमदाबाद : अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों के सिलसिले में साबरमती जेल में बंद कैदियों द्वारा जेल से भागने की कोशिशों की जांच कर रही पुलिस की नजर जेलकर्मियों पर भी है। पुलिस इन सवालों से जूझ रही है कि आखिरकार लोहे की छड़ें और जेल का नक्शा किस तरह बैरक में आए और दो महीने तक सुरंग खोदने का काम जारी रहा लेकिन किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई ।
मामले की जांच कर रही ‘डिटेक्शन ऑफ क्राइम ब्रांच’ (डीसीबी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘दो महीने तक बिना किसी को भनक लगे सुरंग खोदने का काम जारी रहा । इसमें निश्चित तौर पर साबरमती सेंट्रल जेल के अधिकारियों की ओर से की जाने वाली गश्त और इसके प्रशासन में कुछ कथित कमी रही होगी जिसकी जांच हम कर रहे हैं ।’’ गौरतलब है कि अहमदाबाद सीरियल बम धमाकों के सिलसिले में साबरमती जेल में बंद 14 कैदियों ने जेल से फरार होने के लिए 18 फीट लंबी सुरंग खोदी थी । सुरंग कुछ और लंबी खोदी जानी थी लेकिन रविवार की रात जेल अधिकारियों को उनकी साजिश का पता चल गया ।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हम इस बात का पता लगाने के लिए रजिस्टर की भी जांच करेंगे कि सीरियल बम धमाके के आरोपियों से मिलने के लिए कौन-कौन आता था।’’ उन्होंने यह भी कहा कि वह इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि किस तरह लोहे की छड़ें, नुकीले बर्तन, नुकीले एस्बेसटस शीट आदि कैदियों के हाथ लगे ।
अधिकारी ने कहा कि सीरियल बम धमाकों के 68 आरोपियों में से 14 को ‘छोटा चक्कर’ कहे जाने वाले बैरक चार में रखा गया है । हालांकि, बाकी आरोपियों से भी पूछताछ की जाएगी । कड़ी सुरक्षा वाले क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों का इस्तेमाल नहीं होने से भी जांच अधिकारी हैरत में हैं । अपराध शाखा आरोपियों से अपने दफ्तर में भी पूछताछ करेगी जिसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा 268 हटानी होगी ।
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें सीआरपीसी की धारा 268 हटानी पड़ेगी ताकि आरोपियों को अपने दफ्तर में लाकर उनसे पूछताछ की जा सके । आरोपियों को बारी-बारी से लाया जा सकता है क्योंकि उन्हें एक साथ लाने में काफी मुश्किलें हैं ।’’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 12, 2013, 21:51