Last Updated: Friday, September 23, 2011, 15:58
गाजियाबाद : डॉ. कविता रानी 23 अक्टूबर 2006 को अपने परिवार के साथ दिवाली मनाकर अपने गांव धनसूरपुर से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के लिए रवाना हुई लेकिन नहीं पहुंची. 31 अक्तूबर 2006 को कविता के भाई सतीश ने बुलंदशहर के स्याना थाना में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस ने छापा मारकर हॉस्टल से कुछ पत्र और नोट्स बरामद किए. जांच के आधार पर पुलिस ने 4 अप्रैल 2006 को रविंद्र प्रधान व अन्य के खिलाफ सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई.
24 दिसंबर 2006 को रविंद्र प्रधान गिरफ्तार.
29 दिसंबर को योगेश गिरफ्तार.
30 दिसंबर 2006 को रविंद्र का ड्राइवर व अशोक गिरफ्तार.
25 जनवरी 2007 को सुलतान गिरफ्तार.
10 जनवरी 2007 को सरकार द्वारा सीबीआई जांच के आदेश.
23 मार्च 2007 को जांच के बाद सीबीआई ने रविंद्र समेत पांच के खिलाफ विशेष अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया.
22 सितंबर को अदालत ने मामले की सुनवाई में तीन लोगों को दोषी माना, जबकि एक को बरी कर दिया.
अदालत ने अभियुक्त सुलतान सिंह व रविन्द्र सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी तथा धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने इन दोनों पर 10 हजार रूपये का अर्थदण्ड भी लगाया. अर्थदण्ड अदा न करने पर 6 माह का अतिरिक्त कारावास दोनों को भुगतना पड़ेगा. इसके अलावा अदालत ने धारा-384 के तहत दोनों अभियुक्तों को 3 वर्ष का सश्रम कारावास तथा धारा-364 के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 10 हजार का जुर्माना भी लगाया. जुर्माना अ
दा न करने पर 6 माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी. इसके अलावा इन दोनों अभियुक्तों पर धारा-201 के तहत 7 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा तथा 5 हजार का जुर्माना लगाया गया है. जुर्माना अदा न करने की स्थिति में 3 माह की कैद काटनी पड़ेगी. अदालत ने तीसरे अभियुक्त योगेश को धारा-120 बी तथा धारा-384 के तहत 3 वर्ष के सश्रम कारावास तथा 10 हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा न करने पर 6 माह के अतिरिक्त कैद की सजा भुगतनी पड़ेगी. अदालत ने कहा कि ये सभी सजायें साथ-साथ चलेगी तथा जेल में बितायी गयी अवधि नियमानुसार समायोजित की जायेगी.
इस हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त रविन्द्र प्रधान की 29 मई 2008 को गाजियाबाद जिला कारागार में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है. इसके अलावा सीबीआई ने चौधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति आरपी सिंह, प्रदेश के पूर्व बुनियादी शिक्षा मंत्री किरनपाल सिंह तथा पूर्व राज्यमंत्री बाबूलाल के पक्ष में क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसे अदालत ने नामंजूर कर दिया. अदालत ने तीनों लोगों से संबंधित तमाम सबूत अदालत में पेश करने का सीबीआई को आदेश दिया था.
(एजेंसी)
First Published: Friday, September 23, 2011, 21:28