Last Updated: Monday, July 29, 2013, 23:57

नई दिल्ली/हैदराबाद : कांग्रेस कार्य समिति एक कदम आगे बढ़ाते हुए अलग तेलंगाना राज्य गठन को मंगलवार को हरी झंडी दे सकती है जिससे पार्टी के भीतर ही विरोध शुरू हो सकता है क्योंकि कथित तौर पर इस बात का खतरा है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी त्यागपत्र दे सकते हैं। कांग्रेस की शीषर्तम नीति निर्धारक निकाय ‘कांग्रेस कार्य समिति’ की बैठक मंगलवार को शाम साढ़े पांच बजे होना तय है। इसके ठीक पहले पार्टी इस पेचीदा मुद्दे पर संप्रग के सहयोगी दलों से विचार-विमर्श करेगी।
कांग्रेस के बारे में यह कहा जा रहा है उसने आंध्र प्रदेश के बंटवारे का मन बना लिया है। ये उच्चस्तरीय बैठकें पांच अगस्त को शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र से पहले बुलायी जा रही हैं। यदि कोई निर्णय होता है तो उस दौरान तेलंगाना के गठन के बारे में एक विधेयक पारित करने की जररत पड़ेगी।
आंध्र प्रदेश के नेताओं के साथ बातचीत करने वाले कांग्रेस महासचिव एवं आंध्र प्रदेश के पार्टी मामलों के प्रभारी दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘अंतिम निर्णय की घोषणा मंगलवार को की जाएगी।’ उन्होंने स्वीकार किया कि यह ‘आसान निर्णय नहीं था,’ उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सभी को सुना गया है और उनके बिंदुओं पर ध्यान दिया गया है। निर्णय ‘राष्ट्रीय हित’ में लेना होगा। उन्होंने इसे स्पष्ट नहीं किया।
एक और मुद्दा यह हो सकता है कि तत्काल की समस्याओं से बचने के लिए क्या हैदराबाद को कुछ वर्षों के लिए केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाए। इन कदमों के बीच कहा जा रहा है कि रायलसीमा के रहने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी राज्य के बंटवारे के खिलाफ हैं और उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसे कदम में पक्ष नहीं होंगे।
आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों के कांग्रेस नेताओं की रेड्डी के साथ बंद कमरे में बैठक की। रेड्डी के बारे में कहा जा रहा है कि वह राज्य के बंटवारे का निर्णय होने पर पद छोड़ने के बारे में विचार कर सकते हैं।
कांग्रेस ने सत्ताधारी घटकों की मंजूरी की मोहर हासिल करने के प्रयास में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक से ठीक पहले संप्रग की बैठक बुलायी है। राकांपा प्रमुख एवं कृषि मंत्री शरद पवार पहले ही पृथक तेलंगाना के गठन का पुरजोर समर्थन कर चुके हैं, वहीं दूसरे गठबंधन सहयोगी रालोद के नेता और नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह छोटे राज्यों के गठन के पक्षधर हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों को मिलाकर हरित प्रदेश बनाए जाने की मांग करते रहे हैं।
हैदराबाद में मुख्यमंत्री के नजदीकी सूत्रों ने कहा कि वह प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर त्यागपत्र देने पर विचार कर सकते हैं। मुख्यमंत्री की मंत्रियों टी जी वेंकटेश, इरासू प्रताप रेड्डी, दोक्का एम वाराप्रसाद, जी श्रीनिवास राव, एम पी अनंत वेंकटरामी रेड्डी और कुछ विधायकों एवं विधानसभा परिषद सदस्यों के साथ बैठक के बाद एक मंत्री ने कहा, ‘ऐसा अवश्यंभावी है।’
वेंकटेश ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘अभी (आलाकमान द्वारा) कोई निर्णय नहीं लिया गया है। हम आशा करते हैं कि वे रातोंरात निर्णय नहीं लेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘यदि (तेदेपा प्रमुख) चंद्रबाबू नायडू और (वाईएसआरसी मानद अध्यक्ष) विजयम्मा ने एक लाइन के पत्र में कहा कि वे एक एकीकृत राज्य का समर्थन करते हैं, हम देंखेंगे कि कुछ ना हो।’
उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी आंध्र-रायलसीमा के केंद्रीय मंत्रिमंडल के मंत्रियों और सांसदों पर है कि वह राज्य का बंटवारा रोकें। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 29, 2013, 23:57