Last Updated: Saturday, March 2, 2013, 21:15
ज़ी न्यूज़ ब्यूरोनई दिल्ली : देश की राजधानी दिल्ली में पिछले दो दिनों में तीन मासूम बच्चों के साथ ऐसी दरिंदगी की घटना हुई है कि लोगों को अपने बेटे-बेटियों को स्कूल भेजने में डर लगने लगा है।
शनिवार को दिल्ली के प्रगति मैदान के पास स्थित भैरो मंदिर के नजदीक जंगल से दो स्कूली बच्चों की लाश बरामद हुई। दोनों बच्चे आपस में भाई-बहन थे। जानकारी के मुताबिक दोनों बच्चे दिल्ली के मंडावली के रहने वाले थे और पिछले 25 फरवरी से लापता थे। लड़के की उम्र सात साल और लड़की की उम्र पांच साल बताई जा रही है। दोनों बच्चे स्कूल ड्रेस पहने हुए थे।
पुलिस के मुताबिक बच्चों को अगवा कर किसी ने उनके पिता से 30 लाख की फिरौती भी मांगी थी और फिरौती नहीं मिलने पर उनकी हत्या कर दी।
इससे पहले शुक्रवार को मंगोलपुरी इलाके में उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) संचालित एक स्कूल में कक्षा दो में पढ़ने वाली बच्ची के साथ दुष्कर्म किया गया। बताते हैं कि लड़की वहां दोपहर का भोजन खाने गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि घटना के अगले दिन बच्ची का रक्तस्राव देखकर माता-पिता को दुष्कर्म बारे में पता चला। बच्ची को संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल ले जाया गया जहां चिकित्सीय परीक्षण से दुष्कर्म की पुष्टि हुई।
दिल्ली में दरिंदगी की उक्त दोनों घटनाओं से दिल्ली का दिल सहमा हुआ है। बच्चों के माता-पिता इस बात को लेकर आशंकित हैं कि आखिर वह अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजें। कौन उनकी सुरक्षा करेगा।
वहीं, दिल्ली की सुरक्षा को लेकर पिछले दिनों जिस तरह की सियासत नजर आई है, उससे लगता है कि दिल्ली के लोगों को असुरक्षा के माहौल में ही रहना होगा। मामला चाहे गत 16 दिसंबर की रात मेडिकल छात्रा से हुए बलात्कार का हो अथवा इसके बाद की दुष्कर्म की घटनाओं का। दिल्ली में सुरक्षा को लेकर अक्सर राजनीति होती देखी गई। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सुरक्षा का मसला केंद्र सरकार का बता अपने हाथ खड़े कर लेती हैं। दिल्ली सबकी है तो सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सबकी होनी चाहिए।
First Published: Saturday, March 2, 2013, 21:15