Last Updated: Sunday, November 4, 2012, 18:25
नई दिल्ली : दिल्ली भले ही विश्व स्तरीय शहर होने का दावा करे लेकिन एक अध्ययन पर भरोसा करें तो यहां विकलांगों के लिए ढांचागत सुविधाओं का अभाव है। एक गैर सरकारी संगठन ने पिछले एक माह के दौरान कनॉट प्लेस, लोधी रोड, सरायकाले खां और नेहरू प्लेस जैसे अति व्यस्त स्थानों पर अध्ययन किया और पाया कि यहां विकलांगों के लिए सड़क संबंधी अनुकूल सुविधाएं नहीं हैं जिसकी वजह से उन्हें तथा बुजुर्गों को आगे बढ़ने में दिक्कत होती है।
गैर सरकारी संगठन सामर्थ्यन ने अध्ययन के दौरान विकलांगों, बहुत ही मुश्किल से चल पाने वालों, गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों, सामान लिए व्यक्तियों तथा अस्थायी समस्याओं वाले व्यक्तियों के एक दल को इन स्थानों पर भेजा और देखने की कोशिश की कि वहां उन्हें चलने में कैसी समस्याएं होती हैं। कनॉट प्लेस में समुचित चेतावनी संकेतकों, ऑडियो सिग्नलों, स्पर्श योग्य संकेतक और अनुकूल क्रॉसिंग का अभाव जैसी समस्याएं मिलीं।
सामर्थ्यन की निर्देशक अंजलि अग्रवाल ने कहा, ‘सड़क संबंधी ढांचागत सुविधा तक पहुंच तथा सबके लिए उनका सुरक्षित अनुकूल होना जरूरी है और इसके लिए उम्र, लिंग, विकलांगता आदि मानक गौण हैं।’ अध्ययन में पाया गया कि सराय काले खां अंतरराज्यीय बस अड्डा है जो निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से नजदीक एक मुख्य बस अड्डा है। लेकिन यहां फुटपाथों के बीच संपर्क की सुविधा नहीं हैं।
इसके अलावा, आईएसबीटी में फुटपाथ की उंचाई तथा चौड़ाई कई जगहों पर अलग-अलग है। यहां सड़क और फुटपाथ के बीच पत्थर की पटरी और पैदल चलने वालों के लिए क्रॉसिंग नहीं है, फुटपाथ पर खुली नालियां हैं और कई जगहों पर खोमचे वालों का कब्जा भी है। अंजलि ने कहा ‘दिन भर और शाम को सड़कों पर आना जाना रहता है लेकिन खोमचे वालों, यहां तक कि पटरी पर सामान बेचने वालों तथा अन्य बाधाओं की वजह से विकलांगों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए चलना मुश्किल हो जाता है।’
इसी तरह की समस्याएं व्यस्ततम नेहरू प्लेस में भी हैं जिसे कंप्यूटर के सामान के लिए भारत का सबसे बड़ा ग्रे मार्केट समझा जाता है। अग्रवाल ने कहा, ‘अध्ययन का पहला उद्देश्य सार्वजनिक ढांचागत सुविधाओं का निर्माण एवं प्रबंधन करने वाले सभी पक्षों वास्तुविद, इंजीनियरों, योजनाकारों, ठेकेदारों, सार्वजनिक एजेंसियों और सरकारी विभागों के साथ कार्यान्वयन प्रक्रिया में मिलजुलकर काम करना है ताकि पहुंच और सुरक्षा की जरूरत के बारे में उन्हें बताया जा सके।’ राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान विकलांगों के चलने की सुविधा को ध्यान में रख कर सुविधायें विकसित की गई थीं।
‘क्लीन एयर इनीशिएटिव फॉर एशियन सिटीज’ में भारत की प्रतिनिधि प्रथा बसु ने कहा, ‘यह विडंबना है कि हर साल सार्वजनिक परिवहन में सुधार के लिए निवेश बढ़ता जा रहा है लेकिन बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों जैसे टर्मिनलों तक पहुंच में सुधार के लिए अपेक्षित काम नहीं हो रहा।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, November 4, 2012, 18:25