Last Updated: Tuesday, September 3, 2013, 13:39

नई दिल्ली : दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग ने मंगलवार को कहा कि वह दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म (16 दिसंबर, 2012) मामले के नाबालिग अभियुक्त को मिली सजा से संतुष्ट नहीं हैं। जंग ने कहा कि संबंधित कानून पर दोबारा गौर किया जाना चाहिए था।
पैरामेडिकल की 23 वर्षीया छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के नाबालिग अभियुक्त को तीन साल सुधार गृह में बिताने की सजा सुनाई गई है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने वारदात के समय आरोपी की उम्र को ध्यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया है।
उप राज्यपाल नजीब जंग ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि मैं नाबालिग आरोपी को सुनाई गई सजा से असंतुष्ट हूं। कानून के होने का मूलभूत विचार ही यह है कि जनता को न्याय मिले। पर कानून होते हुए भी यदि जनता के साथ न्याय नहीं हो रहा, तो उस पर दोबारा गौर किए जाने की जरूरत है।
भारत में किशोर न्याय अधिनियम के तहत किसी नाबालिग अपराधी के लिए अधिकतम तीन साल की सजा तय की गई है। जंग ने कहा कि मैं बालिग होने की उम्र सीमा 18 से घटाकर 16 करने के विचार का समर्थन करता हूं, क्योंकि मौजूदा दौर में बच्चे जल्दी बड़े और परिपक्व हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनता को जल्द से जल्द न्याय मिले, इसके लिए देश को त्वरित न्यायालयों की स्थापना पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। लड़कियों के लिए शहर को सुरक्षित बनाने की ओर यह एक कारगर पहल होगी। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के फैसले का देश में हर तरफ विरोध हो रहा है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, September 3, 2013, 13:39