दिल्‍ली गैंगरेप मामले के चारों अभियुक्‍त दोषी करार, सजा का आज होगा ऐलान । Delhi gang-rape verdict Live: Four accused held guilty, to be sentenced tomorrow

दिल्‍ली गैंगरेप मामले के चारों अभियुक्‍त दोषी करार, सजा का आज होगा ऐलान

दिल्‍ली गैंगरेप मामले के चारों अभियुक्‍त दोषी करार, सजा का आज होगा ऐलाननई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर के बर्बर सामूहिक बलात्कार की घटना के नौ महीने के अंदर दिल्ली की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने मंगलवार को सभी चार आरोपियों को 23 वर्षीय लड़की से बलात्कार और उसकी नृशंस हत्या का दोषी ठहराया। इन चारों दोषियों की सजा का ऐलान बुधवार को होगा। इस अपराध के लिए आरोपियों को मौत की सजा हो सकती है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 237 पन्ने के अपने फैसले में मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को दोषी ठहराया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। दोषियों को क्या सजा होगी इस पर बुधवार को अदालत के समक्ष दलील दी जाएगी।

न्यायाधीश ने कहा, मामले के तथ्य सभी आरोपियों को निस्सहाय पीड़िता की नृशंस हत्या के लिए जिम्मेदार पाते हैं और इस प्रकार आईपीसी की धारा 302 के साथ के साथ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) को पढ़ते हुए अपराध साबित होते हैं और इसलिए आरोपियों को दोषी ठहराया जाता है। अदालत ने कहा, सभी आरोपियों ने एक साजिश के तहत पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया और इसलिए वे आईपीसी की धारा 376 (2) (जी) (सामूहिक बलात्कार) के साथ धारा 120 बी के तहत दोषी ठहराए जाते हैं। अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की की चिकित्सा में विलंब और अस्पताल में इलाज के दौरान संक्रमण से मृत्यु हुई। न्यायाधीश खन्ना ने कहा, इस मुकदमे का महत्वपूर्ण पहलू वह तरीका है जिसके तहत रॉड और हाथ दोनों का इस्तेमाल आहार नलिका को क्षतिग्रस्त कर उसे (लड़की के) शरीर से बाहर निकालने के लिए किया गया।

अपने फैसले में न्यायाधीश ने कहा, परिस्थितियां, आचरण और आरोपियों के सुस्पष्ट कृत्य ने साफ तौर पर स्थापित किया कि आरोपी लोगों ने शिकायतकर्ता की हत्या का प्रयास किया था। 16 दिसंबर की घटना में पैरामेडिकल छात्रा से बर्बरता से सामूहिक बलात्कार किया गया था और उस पर बर्बर हमले के खिलाफ देशभर में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसके जरिए कानून में बदलाव करना पड़ा था।

बदले हुए कानून बलात्कार के मामले में मौत की सजा का भी प्रावधान करते हैं लेकिन मौजूदा मामले की सुनवाई आईपीसी के पुराने प्रावधानों के तहत हुई है जो बलात्कार के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करता है।

इस मामले में पकड़े गए राम सिंह ने मार्च में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। छठा दोषी घटना के वक्त किशोर था और उसे सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की सजा काटनी होगी।

न्यायाधीश ने कहा कि यद्यपि आरोपी राम सिंह (34) के खिलाफ उसकी मौत के बाद कार्यवाही समाप्त कर दी गई लेकिन वह भी समान धाराओं (सामूहिक बलात्कार, हत्या और अन्य अपराधों) के लिए दोषी है। फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद पवन रो पड़ा जबकि विनय बदहवास हो गया। मुकेश को यह कहते सुना गया, उन्होंने जो किया है उसका नतीजा उन्हें भुगतना होगा। एक अन्य दोषी अक्षय पर कोई प्रभाव नहीं दिखा।

न्यायाधीश ने विशेष लोक अभियोजक दायन कृष्णन और अतिरिक्त लोक अभियोजक राजीव मोहन के नेतृत्व वाले दल की सर्वोच्च दर्जे के पेशेवर मानदंडों और सक्षमता और मुकदमे में अदालत की प्रभावकारी तरीके से सहायता करने के लिए उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने न्याय मित्र राजीव जैन और बचाव पक्ष के वकील के प्रति भी आभार प्रकट किया।
सामूहिक बलात्कार, हत्या और साजिश के अतिरिक्त अदालत ने मुकेश (26), विनय शर्मा (20), पवन गुप्ता (19) और अक्षय ठाकुर को हत्या के प्रयास, अप्राकृतिक यौनाचार, डकैती, सबूतों को नष्ट करने, हत्या के लिए अपहरण के आरोप में भी दोषी ठहराया। वहीं, उन्हें हत्या के आरोप से बरी कर दिया। अदालत ने उन्हें आईपीसी के तहत अपहरण या व्यक्ति को गुप्त तरीके से और गलत तरीके से कैद करने की मंशा से अपहरण, व्यक्ति को गंभीर चोट पहुंचाने के इरादे से अपहरण, लूटपाट के दौरान चोट पहुंचाने और डकैती के दौरान लूटी गई संपत्ति को बेईमानी से हासिल करने के अपराध के लिए भी दोषी ठहराया।

पीड़िता का मित्र भी घटना में जख्मी हो गया था। लड़की की सिंगापुर के अस्पताल में 29 दिसंबर 2012 को मृत्यु हो गई थी। अदालत ने पीड़िता के मृत्यु पूर्व बयान, फिंगर प्रिंट, दांत, डीएनए नमूने और दोषियों की मेडिकल रिपोर्ट, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और गिरफ्तारी के बाद उनके द्वारा पुलिस को दिए गए बयान पर भरोसा किया।

न्यायाधीश ने यह भी कहा कि उनके मोबाइल फोन नेटवर्क के लोकेशन के जरिए भी दोषियों की उस बस में मौजूदगी स्थापित हो गई है जिसमें अपराध हुआ था। अदालत ने आरोपियों को दोषी ठहराते हुए यह भी कहा कि 23 साल की लड़की की मौत चिकित्सा संबंधी लापरवाही के कारण नहीं हुई। दरअसल बचाव पक्ष की दलील थी कि लड़की की मौत आरोपियों द्वारा पहुंचाई गई चोट से नहीं, बल्कि चिकित्सा संबंधी लापरवाही और अस्पताल पहुंचाने में देरी से हुई। अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, September 10, 2013, 12:49

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