Last Updated: Wednesday, September 11, 2013, 12:15
ज़ी मीडिया ब्यूरो नई दिल्ली : दिल्ली गैंगरेप के चारों दोषियों की सजा को लेकर साकेत कोर्ट में बुधवार को बहस शुरू हुई। जानकारी के अनुसार, सरकारी वकील ने दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। वहीं, पुलिस ने भी कोर्ट में चारों दोषियों विनय शर्मा, पवन गुप्ता, मुकेश कुमार और अक्षय ठाकुर के लिए फांसी की सजा की मांग की है। दोषी ठहराए गए चारों अभियुक्तों को आज सजा सुनाई जा सकती है।
कोर्ट में आज बहस के दौरान सरकारी वकील ने कहा कि दोषियों पर बिलकुल रहम नहीं किया जाए। चारों ने बिलकुल भी दया नहीं दिखाई। चारों का अपराध बेहद कूर। पीडि़त लड़की इनसे रहम की गुहार लगाती रही। वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि ये केस रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता है। दोषियों ने सजा में नरमी बरते जाने की मांग की और कहा उम्रकैद एक नियम है और मृत्युदंड एक अपवाद है।
इससे पहले, दिल्ली पुलिस कड़ी सुरक्षा में चारों दोषियों को लेकर साकेत स्थित कोर्ट में पहुंची। इस दौरान कोर्ट के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
गौर हो कि राष्ट्रीय राजधानी में 16 दिसंबर के बर्बर सामूहिक बलात्कार (गैंगरेप) की घटना के नौ महीने के अंदर दिल्ली की एक फास्ट ट्रैक अदालत ने मंगलवार को सभी चार आरोपियों को 23 वर्षीय लड़की से बलात्कार और उसकी नृशंस हत्या के लिए दोषी ठहराया।
फास्ट ट्रैक कोर्ट में आज अभियुक्तों की सजा पर बहस शुरू हुई और इसके बाद सजा तय की जाएगी। इस जघन्य अपराध के लिए आरोपियों को मौत की सजा हो सकती है। उधर, गैंगरेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने की मांग नारीवादी कार्यकर्ताओं से लेकर कई राजनीतिक दलों ने की है।
इससे पहले, मंगलवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने 237 पन्ने के अपने फैसले में मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर को दोषी ठहराया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। दोषियों को क्या सजा होगी इस पर आज अदालत के समक्ष दलील दी जाएगी।
न्यायाधीश ने कहा कि मामले के तथ्य सभी आरोपियों को निस्सहाय पीड़िता की नृशंस हत्या के लिए जिम्मेदार पाते हैं और इस प्रकार आईपीसी की धारा 302 के साथ के साथ धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) को पढ़ते हुए अपराध साबित होते हैं और इसलिए आरोपियों को दोषी ठहराया जाता है। अदालत ने कहा कि सभी आरोपियों ने एक साजिश के तहत पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार किया और इसलिए वे आईपीसी की धारा 376 (2) जी (सामूहिक बलात्कार) के साथ धारा 120 बी के तहत दोषी ठहराए जाते हैं।
अदालत ने बचाव पक्ष की इस दलील को खारिज कर दिया कि लड़की की चिकित्सा में विलंब और अस्पताल में इलाज के दौरान संक्रमण से मृत्यु हुई। न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि इस मुकदमे का महत्वपूर्ण पहलू वह तरीका है जिसके तहत रॉड और हाथ दोनों का इस्तेमाल आहार नलिका को क्षतिग्रस्त कर उसे (लड़की के) शरीर से बाहर निकालने के लिए किया गया।
अपने फैसले में न्यायाधीश ने कहा कि परिस्थितियां, आचरण और आरोपियों के सुस्पष्ट कृत्य ने साफ तौर पर स्थापित किया कि आरोपी लोगों ने शिकायतकर्ता की हत्या का प्रयास किया था। 16 दिसंबर की घटना में पैरामेडिकल छात्रा से बर्बरता से सामूहिक बलात्कार किया गया था और उस पर बर्बर हमले के खिलाफ देशभर में सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हुआ था जिसके जरिए कानून में बदलाव करना पड़ा था। बदले हुए कानून बलात्कार के मामले में मौत की सजा का भी प्रावधान करते हैं, लेकिन मौजूदा मामले की सुनवाई आईपीसी के पुराने प्रावधानों के तहत हुई है जो बलात्कार के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करता है। इस मामले में पकड़े गए राम सिंह ने मार्च में तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। छठा दोषी घटना के वक्त किशोर था और उसे सुधार गृह में अधिकतम तीन साल की सजा काटनी होगी।
न्यायाधीश ने कहा कि यद्यपि आरोपी राम सिंह (34) के खिलाफ उसकी मौत के बाद कार्यवाही समाप्त कर दी गई लेकिन वह भी समान धाराओं (सामूहिक बलात्कार, हत्या और अन्य अपराधों) के लिए दोषी है। फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद पवन रो पड़ा जबकि विनय बदहवास हो गया। मुकेश को यह कहते सुना गया कि उन्होंने जो किया है उसका नतीजा उन्हें भुगतना होगा। एक अन्य दोषी अक्षय पर कोई प्रभाव नहीं दिखा।
न्यायाधीश ने विशेष लोक अभियोजक दायन कृष्णन और अतिरिक्त लोक अभियोजक राजीव मोहन के नेतृत्व वाले दल की सर्वोच्च दर्जे के पेशेवर मानदंडों और सक्षमता और मुकदमे में अदालत की प्रभावकारी तरीके से सहायता करने के लिए उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने न्याय मित्र राजीव जैन और बचाव पक्ष के वकील के प्रति भी आभार प्रकट किया।
आज यह तय हो जाएगा कि इस जघन्य अपराध के लिए अभियुक्तों को कितनी कठोर सजा मिलती है, जिसका पूरा देश बेसब्री से इंतजार कर रहा है।
First Published: Wednesday, September 11, 2013, 09:08