देर आए, दुरूस्त आए : पीड़ितों के परिजन

देर आए, दुरूस्त आए : पीड़ितों के परिजन

देर आए, दुरूस्त आए : पीड़ितों के परिजननई दिल्ली : संसद पर वर्ष 2001 के आतंकवादी हमले में मारे गए लोगों के परिजनों की हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने पर पहली प्रतिक्रिया थी : ‘देर आए, दुरुस्त आए।’ 13 दिसंबर को संसद के वाच एंड वार्ड स्टाफ की ओर से संसद भवन की सुरक्षा में ड्यूटी पर तैनात मातबर सिंह नेगी के पुत्र ने आज तिहाड़ जेल में गुरु को फांसी दिए जाने पर कहा कि सरकार का यह एक अच्छा फैसला है और इससे आतंकवादी समूहों को कड़ा संदेश जाएगा।

नेगी के पुत्र गौतम नेगी ने यहां कहा, ‘सरकार का यह अच्छा फैसला है और यह कदम (फांसी) उन आतंकवादी संगठनों को कड़ा संदेश भेजेगा जो भारत में समस्या पैदा करने की सोच रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह बहुत पहले ही किया जाना चाहिए था। यह देर से हुआ लेकिन हम खुश हैं। देर आए, दुरूस्त आए।’ गौतम ने बताया कि उनके परिवार को आज सुबह टेलीविजन चैनलों से गुरु को फांसी दिए जाने का पता चला और यह उनके लिए एक ‘अच्छी खबर’ थी।

उन्होंने कहा, ‘उसे अंतत: सही सजा दी गयी। संसद हमला मामले से जुड़ी सारी राजनीति अब खत्म हो जाएगी।’ गौतम ने कहा कि मुंबई हमला मामले के दोषी अजमल कसाब को पिछले साल फांसी दिए जाने के बाद से हमें गुरू को इसी प्रकार की सजा मिलने की उम्मीद थी।

इस संबंध में एक सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा, ‘सरकार ने फांसी देने में देर क्यों की यह आपको सरकार से पूछना चाहिए।’ नेगी की पत्नी ने भी अपने बेटे गौतम की ही बात को दोहराया। उन्होंने कहा, ‘आज हम बहुत खुश हैं। अब अफजल फांसी दे दी गयी तो अंतत: हमें इतने सालों बाद न्याय मिला। हम बड़ी बेसब्री के साथ उसे फांसी दिए जाने का इंतजार कर रहे थे लेकिन इसमें लगातार देरी होती रही।’ (एजेंसी)

First Published: Saturday, February 9, 2013, 11:38

comments powered by Disqus