नंदलाल की जन्मभूमि में मनाई गई जन्माष्टमी

नंदलाल की जन्मभूमि में मनाई गई जन्माष्टमी

नंदलाल की जन्मभूमि में मनाई गई जन्माष्टमीमथुरा : यशोदा के लाल के बुधवार अर्धरात्रि को प्रकट होते ही मथुरा `जय श्री कृष्ण` और `राधे-राधे` के उद्घोष से गूंज उठा। बाल गोपाल के जन्म की घड़ियां जैसे नजदीक आईं, वैसे ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि से एक पुजारी ने लाउडस्पीकर पर उसकी घोषणा कर दी।

श्रद्धालु कड़े सुरक्षा प्रबंधों से गुजरते हुए मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचे और `पंचामृत` में नहाए अपने आराध्य की एक झलक पाई। संपूर्ण मंदिर परिसर प्रकाशमान था। चारों ओर सुगंध और फूलों से साज-सज्जा की गई थी।

मथुरा के द्वारकाधीश मंदिर में अर्धरात्रि तक दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। तीर्थयात्रियों पर नियंत्रण करने में सुरक्षाबलों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही थी। वृंदावन के राधा बल्लभ मंदिर में संगीत कार्यक्रमों के बीच-बीच में लोकनृत्य भी पेश किए गए। बांके बिहारी मंदिर में उमड़े श्रद्धालु भावविभोर थे और मग्न हो भजन गा रहे थे। वृंदावन के `अंग्रेजों का मंदिर` कहे जाने वाले इस्कॉन मंदिर में विशेष चहल-पहल थी। श्रद्धालु `नंद के आनंद भयो` और `जय कन्हैया लाल की` सरीखे भजन गा रहे थे।

वृंदावन में राधाबल्लभ मंदिर में जहां संगीतमय कार्यक्रम पेश किए गए वहीं बांके बिहारी मंदिर में मंत्रोच्चार से लोग भक्ति रस में डूब गए। वहीं कृपालु जी महाराजा द्वारा नवनिर्मित प्रेम मंदिर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहा। वर्षों बाद रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण के 5,239वें जन्मदिवस को खास बताया गया था। दिल्ली और हरियाणा के तीर्थयात्रियों ने वाया यमुना एक्सप्रेस वृंदावन पहुंचना ज्यादा सुगम पाया। आगरा, ग्वालियर और राजस्थान वासियों के लिए राज्य परिवहन विभाग ने मथुरा और वृंदावन से विशेष बसें चलाई थीं।

नेहरू नगर श्रीकृष्ण मंदिर की यात्रा कर लौटे बांके लाल महेश्वरी ने कहा कि आगरा में अर्धरात्रि श्रीकृष्ण के प्रकट होने पर आतिशबाजी की गई और लोग `भक्ति संगीत` में शामिल हुए। (एजेंसी)

First Published: Thursday, August 29, 2013, 21:25

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