Last Updated: Friday, June 28, 2013, 10:36
ज़ी मीडिया ब्यूरोअहमदाबाद : सीबीआई और गुजरात के एक पुलिस अधिकारी ने इस बात का दावा किया है कि मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह को इस बात की जानकारी थी कि कॉलेज स्टूडेंट इशरत जहां और तीन अन्य जून 2004 में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाएंगे।
15 जून 2004 को अहमदाबाद से कुछ ही दूरी पर पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मुंबई के एक कॉलेज की स्टूडेंट इशरत जहां, जावेद शेख, अमजद अली राणा और जीशान मारे गए थे। गुजरात पुलिस का कहना है कि चारों लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी थे और मोदी की हत्या के मिशन पर आए थे लेकिन इशरत का परिवार और मानवाधिकार कार्यकर्ता इस दावे को खारिज करते हैं। उनका कहना है कि इशरत निर्दोष थी। उसे फर्जी मुठभेड़ में मारा गया है। चारों को मुंबई से गुजरात लाकर फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था।
सीबीआई के मुताबिक आईबी का वरिष्ठ अधिकारी और अमित शाह कथित रूप से इस साजिश का हिस्सा हैं। आईबी अधिकारी राजेंद्र कुमार के साथ `सफेद दाढ़ी` और `काली दाढ़ी` वाले शख्स ने इशरत फर्जी एनकाउंटर को अंजाम दिया था। इस कोड वर्ड के तहत सफेद दाढ़ी से नरेंद्र मोदी और काली दाढ़ी से अमित शाह को इंगित किया गया है। सीबीआई अधिकारी ने एक समाचार पत्र को बताया कि सबूतों के मुताबिक पूरे ऑपरेशन के दौरान सभी वरिष्ठ लोगों को भरोसे में रखा गया था। गुजरात हाईकोर्ट के आदेश पर सीबाआई मामले की जांच कर रही है। 4 जुलाई से पहले सीबीआई को इस मामले में चार्जशीट दाखिल करनी है।
समाचार पत्र ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि चार्जशीट में सरकार में शामिल कुछ वरिष्ठ लोगों पर गंभीर आरोप लगाए जा सकते हैं। सीबीआई अधिकारी के मुताबिक फर्जी एनकाउंटर के आरोपों को पुख्ता करने के लिए उनके पास दस्तावेजी सबूतों के अलावा कुछ इलक्ट्रॉनिक प्रमाण भी हैं। इन्हीं के आधार पर आईबी के अधिकारी राजेन्द्र कुमार और अमित शाह को मुख्य साजिशकर्ता बताया जाएगा।
अधिकारी के मुताबिक सबूतों से यह साफ हो गया है कि राजेन्द्र कुमार और अमित शाह ने इशरत जहां सहित चारों को फर्जी एनकाउंटर में मारने की साजिश रची थी। राजेन्द्र कुमार ने न सिर्फ फर्जी अलर्ट दिए बल्कि उन लोगों को पकड़कर गुजरात पुलिस की कस्टडी में दिया। चारों को लश्कर का आतंकी साबित करने के लिए एके-47 राइफल भी उपलब्ध करवाई।
First Published: Friday, June 28, 2013, 10:36