Last Updated: Sunday, October 7, 2012, 11:30
नई दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने नियोक्ता की पांच साल की पुत्री का शीलभंग करने के अपराध में एक व्यक्ति को दो साल की सजा सुनायी है। लेकिन उसे बलात्कार जैसे संगीन आरोप से बरी कर दिया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मधु जैन ने अभियुक्त अतीक आलम को बच्ची से बलात्कार के आरोप से बरी करते हुए कहा कि पीड़ित लड़की और उसके माता-पिता ने कथित दुष्कर्म के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। न्यायाधीश ने कहा, पीड़ित और उसके माता-पिता की गवाही के मद्देनजर जिसकी पुष्टि मेडिकल साक्ष्य और अपराध विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से भी हुयी है, अभियोजन पक्ष अभियुक्त के खिलाफ शीलभंग करने के प्रयास में भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत अपराध सिद्ध करने में कामयाब रहा है। अभियुक्त को दो साल की कैद की सजा दी जाती है जिसे वह पहले ही पूरी कर चुका है।
इस मामले में पांच साल की बच्ची की मां ने नौ सितंबर, 2010 को अतीक आलम के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी कि उसने उसकी पुत्री से बलात्कार किया है। अतीक इस महिला के पति की चाय की दुकान में काम करता था और वहीं पर रहता भी था। अतीक आलम को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था। शिकायत में कहा गया था कि अतीक लड़की को किसी की जानकारी के बगैर ही दुकान से पास की रेलवे लाइन पर ले गया था जहां उसने अपराध किया।
अदालत ने इस तथ्य को अपने आदेश में नोट किया कि न तो लड़की ने और न ही उसकी मां ने अभियुक्त द्वारा बलात्कार करने के बारे में कुछ भी कहा है। अदालत ने कहा, न तो लड़की ने और न ही उसकी मां ने अतीक आलम द्वारा पीड़ित से बलात्कार के बारे में कुछ कहा है। ऐसी स्थिति में यह नहीं कहा जा सकता है कि पीड़ित से बलात्कार का आरोप सिद्ध हुआ है। इस मामले की सुनवाई के दौरान अतीक आलम ने इन आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि उसके नियोक्ता ने उसे झूठे मुकदमे में फंसाया है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, October 7, 2012, 11:30