पश्चिम बंगाल में श्रम कानूनों में होगा बदलाव - Zee News हिंदी

पश्चिम बंगाल में श्रम कानूनों में होगा बदलाव

कोलकाता : पश्चिम बंगाल सरकार गैर जिम्मेदारना यूनियनबाजी रोकने और छोटे-मोटे मुद्दों पर श्रमिकों की हड़ताल करने की प्रवृत्ति समाप्त करने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव करेगी. सरकार श्रमिकों के साथ अनुचित बर्ताव के खिलाफ कानूनों को मजबूत करेगी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में कहा था कि प्रदेश में औद्योगीकरण के लिए जरूरी है कि बंद की संस्कृति समाप्त हो.

राज्य के श्रम मंत्री पूर्णेन्दु बोस ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार नई श्रम नीति के जरिये श्रमिकों को यह समझने में मदद करेगी कि नियोक्ताओं के साथ छोटे-मोटे विवादों को हड़ताल की बजाए बातचीत के जरिये सुलझाया जाना चाहिए. बोस ने कहा कि पिछली वाम मोर्चा सरकार खाड़कू ट्रेड यूनियनवाद से प्रदेश में बहुत से कारखाने बंद हो गए. बोस नक्सलवादी आंदोलन से जुड़े थे. वह सिंगुर आंदोलन में हिस्सा लेने के बाद तृणमूल कांग्रेस में आ गए.

उन्होंने कहा कि गैर-जिम्मेदार ट्रेड यूनियनवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हड़ताल का अधिकारी अंतिम उपाय है लेकिन इसका दुरूपयोग नहीं किया जा सकता. ट्रेड यूनियन नेता रहे बोस ने कहा कि अगर कारखाना बंद हो जाता है तो इससे सबसे ज्यादा कर्मचारी प्रभावित होते हैं. नई सरकार को विश्वास है कि बातचीत कारखानों को खुला रखेगी. उन्होंने कहा कि 20 से 22 श्रम कानून हैं और पूरे श्रम कानून की समीक्षा किये जाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बुलाई गई त्रिपक्षीय बैठक में प्रबंधन को अनिवार्य रूप से शामिल किए जाने को लेकर कानून में संशोधन किया जाना चाहिए. हम इसके लिए औद्योगिक विवाद कानून में जरूरी संशोधन के मामले को केंद्र के समक्ष उठाएंगे. बोस ने कहा कि कई कॉल सेंटर तथा बीपीओ प्रतिष्ठान में कर्मचारियों को केवल रात्रि पाली में काम करने के लिए बाध्य किया जाता है.

First Published: Thursday, September 1, 2011, 18:21

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