फेरा मामले में न्यायाधिकरण का आदेश रद्द

फेरा मामले में न्यायाधिकरण का आदेश रद्द

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने करीब 25 साल पुराने फेरा उल्लंघन के एक मामले में विदेशी मुद्रा अपीलीय न्यायाधिकरण का आदेश निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि इस मामले के निबटारे में अत्यधिक विलंब से आरोपियों के बचाव का अधिकार बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि फेरा कानून के उल्लंघन का कथित अपराध 28 अप्रैल 1987 को हुआ था और पराग डालमिया को 14 साल बाद 16 जुलाई 2001 को पहली बार सम्मन जारी किया गया। ऐसी स्थिति में अपीलकर्ता का अपना बचाव करने का अधिकार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। न्यायालय ने विदेशी मुद्रा अपीलीय न्यायाधिकरण के सात अक्तूबर, 2010 के आदेश के खिलाफ पराग डालमिया, एच एस रुसतगी और जय हरि डालमिया की अपील स्वीकार करते हुए आदेश निरस्त कर दिया।

न्यायालय ने कहा कि यह विलंब अपीलकर्ता की वजह से नहीं बल्कि प्रवर्तन निदेशालय के ढुलमुल रवैये के कारण हुआ है।
न्यायालय ने कहा कि यह भी साबित नहीं हो सकता है कि विदेशी मुद्रा अपीलीय न्यायाधिकरण द्वारा दोषी ठहराये गए तीनों आरोपी मेसर्स मल्टीटेक इंटरनेशनल लि के दैनिक कार्यो के लिए जिम्मेदार थे। (एजेंसी)

First Published: Sunday, July 8, 2012, 11:17

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