बिहार बन सकता है देश का अन्न भंडार : कलाम

बिहार बन सकता है देश का अन्न भंडार : कलाम

पटना : पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने बिहार में उपलब्ध प्रचुर जल के बेहतर इस्तेमाल की आवश्यक्ता जताते हुए आज कहा कि यहां उपलब्ध जल के सही प्रबंधन के जरिए इस प्राकृतिक संसाधन को आर्थिक विकास के रूप में परिणत किया जा सकता है।

नेशनल इंस्टिच्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी के तीसरे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेते हुए कलाम ने कहा कि बिहार में जल की कमी नहीं हैं बल्कि कई बार उसके पास पानी इतना उपलब्ध होता है जिसे वह नियंत्रित नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि यहां उपलब्ध जल का बेहतर प्रबंधन कर उसका सिंचाई में इस्तेमाल किए जाने से बिहार भारत का अन्न भंडार बन जाएगा।

बिहार से गुजरने वाली गंगा नदी का उदाहरण देते हुए कलाम ने कहा कि इससे आयी बाढ़ से उत्तर बिहार प्रत्येक वर्ष प्रभावित होता है पर उस आधिक्य जल का बेहतर प्रबंधन कर उसका इस्तेमाल सिंचाई और पेयजल के रूप में किया जा सकता है। उन्होंने बाढ़ के पानी के हर वर्ष बेकार चले जाने की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए सुझाव दिया कि अंतर्राष्ट्रीय मदद से नई बाढ़ प्रबंधन तकनीक का इस्तेमाल कर नदियों से आयी बाढ़ का दीर्घ कालिक रूप से समाधान निकाला जा सकता है।

कलाम ने कहा कि बाढ़ की समस्या का समाधान कोसी नदी के प्रवेश द्वार पर परतदार कुओं का निर्माण कर किया जा सकता है जिससे पानी की तेज रफ्तार पर नियंत्रण पाने के साथ-साथ उनमें मौजूद पानी को जल संकट के समय उपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि नदियों को जोड़ने की योजना के साथ इस तकनीक का इस्तेमाल उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से निकलने वाली नदियों में भी किया जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा कि बाढ की समस्या से निजात पाने के लिए सैटेलाईट मैप के जरिए जल स्रोतों के अतिक्रमण का पता लगाकर उन्हें समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांवों के तालाबों से कीचड़ निकाले जाने के साथ नदियों के बीच में जमा गाद को निकाला जाना चाहिए ताकि बाढ का पानी भूखंड वाले इलाके में न फैल सके।

कलाम ने पूरे राज्य को नहरों के जरिए जोड़कर जल यातायात के विकास के लिए 500 मीटर लंबा जलमार्ग बनाए जाने पर जोर दिया जो कि रेल ढुलाई मार्ग का दोगुना और सडक ढुलाई मार्ग का आठ गुना भार ढो सके जिससे कि सड़कों पर आवागमन की समस्या कम होने जाने के साथ वातावरण की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि इसतरह के जलमार्ग के निर्माण से प्रदेश में जल भंडारण का अतिरिक्त साधन उपलब्ध होगा।

कलाम ने जल के संतुलित प्रवाह के लिए नदियों के मिलान स्थल पर अंत:स्थ डैम के निर्माण की आवश्यक्ता जताते हुए कहा कि इससे करीब पचास लाख एकड़ भूमि को सिंचित किया जा सकता है तथा इससे पांच हजार मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है और यह करीब नौ मिलियन लोगों को रोजगार उपलब्ध करेगा।

उन्होंने भूगर्भ वैज्ञानिकों, मानचित्र निर्माताओं, सिविल इंजिनीयर, संरचना विशेषज्ञों, हाड्रोलिक इंजिनीयर और पर्यावरणविदों से इन कार्यक्रमों पर साथ मिलकर काम करने की अपील करते हुए इन कार्यक्रमों को इन सभी कार्यक्रमों को जन-निजी भागीदारी के आधार पर चलाया जाने का सुझाव दिया ताकि ये कार्यक्रम अगले एक दशक में पूर्णरूपेण सामाजिक बदलाव लाने में मददगार साबित हो सकें। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 29, 2013, 23:01

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