बिहार: मिड-डे मील से बच्चे कर रहे इनकार

बिहार: मिड-डे मील से बच्चे कर रहे इनकार

बिहार: मिड-डे मील से बच्चे कर रहे इनकारपटना : बिहार के सारण जिले के मशरख प्रखंड के एक सरकारी विद्यालय में मध्याह्न भोजन से हुई 23 मासूमों की मौत के बाद विद्यालय जाने वाले बच्चे वहां भोजन करने से इनकार कर रहे हैं।

इधर, एक स्वयंसेवी संस्था ने राज्य के पांच जिलों में मध्याह्न भोजन देने से इंकार कर दिया है। इस बीच शिक्षा विभाग ने भी इस योजना को दुरुस्त करने के लिए कमर कस ली है। सारण जिले की घटना के बाद बच्चों से ज्यादा अभिभावक सशंकित हैं। वे अपने बच्चों को विद्यालय तो भेज रहे हैं परंतु उन्हें मध्याह्न भोजन न करने की सलाह दे रहे हैं।

भागलपुर जिले के सबौर और कहलगांव प्रखंड के करीब 20 से ज्यादा विद्यालयों में बच्चों ने भोजन करने से इनकार कर दिया। ऐसे बच्चे अब घर से अपने टिफिन बॉक्स में खाना लेकर विद्यालय आ रहे हैं। बच्चे स्पष्ट कह रहे हैं कि उनकी मां ने कहा है कि विद्यालय में खिचड़ी नहीं खाना। यही कारण है कि वे टिफिन लेकर आ रहे हैं। सबौर प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय, गोपालपुर के चौथे वर्ग के छात्र आशुतोष ने कहा कि उनके पिता और मां ने विद्यालय में शिक्षकों को उनके बेटे को भोजन न देने को कहा है और अपने बेटे को भी वहां न खाने की नसीहत दी है।

इधर, विद्यालय की प्रधानाध्यापिका हेमलता कुमारी भी कहती हैं कि वह उपमुखिया के निर्देश पर भोजन नहीं बनवा रही हैं। इधर, पांच जिलों गया, पटना, वैशाली, बेगूसराय और नालंदा के विद्यालयों में भोजन उपलब्ध कराने वाली संस्था एकता शक्ति फाउंडेशन ने भी भोजन देने से अपने हाथ खींच लिए हैं। संस्था के उपाध्यक्ष मयूर मयंक ने शुक्रवार को कहा कि सारण जिले में घटी घटना के बाद से उनके लोगों को ग्रामीणों का कोप भाजन बनना पड़ रहा है। ऐसे में उनके लिए बच्चों को भोजन देना मुश्किल हो रहा है।

वह कहते हैं कि अगर ईर्ष्‍यावश किसी ने भोजन में कोई जहरीली वस्तु मिला दी तो उनकी संस्था बदनाम हो जाएगी। राज्य में मध्याह्न भोजन योजना कार्यक्रम के निदेशक लक्ष्मण ने बताया कि हमें राज्य के पांच से छह जिलों के कुछ विद्यालयों में बच्चों द्वारा भोजन करने से इनकार करने का समाचार मिला है और हम इस समस्या को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।

इधर, सारण की घटना के बाद शिक्षा विभाग ने भवनहीन विद्यालयों को बंद करने का फैसला किया है। राज्य में 8,000 ऐसे भवनहीन विद्यालयों को नजदीक के विद्यालयों में संचालित किया जाएगा। राज्य के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा कहते हैं कि राज्य में मध्याह्न भोजन की व्यवस्था बदली जाएगी। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में मध्याह्न भोजन की देखरेख की जिम्मेदार संभालने वाले विद्यालय शिक्षा समिति के सदस्यों की संख्या 13 से बढ़ाकर 19 की जाएगी तथा राज्य में मध्याह्न भोजन बनाने के लिए 67 हजार रसोइयों की बहाली की जाएगी। गौरतलब है कि 13,500 विद्यालयों में रसोईघर नहीं है। इसमें 7,600 विद्यालयों में इसके निर्माण के लिए जमीन मिल गई है और जल्द ही इसका निर्माण कराया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि नवसृजित प्राथमिक विद्यालय, धर्मसती गंडामन में मंगलवार को मध्याह्न भोजन से 23 बच्चों की मौत हो गई थी जबकि 25 से ज्यादा बच्चों का अभी भी इलाज चल रहा है। (एजेंसी)

First Published: Friday, July 19, 2013, 14:25

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